कृषि विज्ञान केंद्र ग्वालदम द्वारा प्राकृतिक खेती पर किसानों को दिया गया दो दिवसीय प्रशिक्षण

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नवीन चन्दोला/ केदारखण्ड एक्सप्रेस न्यूज थराली।

कृषि विज्ञान केंद्र ग्वालदम द्वारा प्राकृतिक खेती का विस्तार परियोजना के तहत आज शुक्रवार को ग्वालदम की भगरतोला तोक में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में 40 कृषकों ने प्रतिभाग किया,प्राकृतिक खेती के अंतर्गत कृषकों ने बीजामृत, जीवामृत, घन-जीवामृत, अग्निअस्त्र, ब्रह्मास्त्र आदि, प्राकृतिक खेती के अवयवों का निर्माण करना एवं उनका खेतों में प्रयोग और कृषि में प्राकृतिक खेती का महत्व आदि जानकारी किसानों को दी गई।

किसानों ने कृषि विज्ञान केंद्र ग्वालदम में कार्यरत वैज्ञानिक एवं प्राकृतिक खेती के नोडल ऑफिसर डॉ डी सी काला से प्रशिक्षण प्राप्त किया,यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 28 दिसंबर तथा 29 दिसंबर को आयोजित किया गया जिसमें कृषकों को प्राकृतिक खेती के विषय में जागरूकता एवं प्रशिक्षण दिया गया।

डा डीसी काला द्वारा बताया गया की प्राकृतिक खेती हमारी पौराणिक खेती एवं ऋषि पद्धति ही है, जिसमें कृषकों को फसलोंत्पादन में कम खर्चे में ही अधिक एवं स्थिर उपज प्राप्त होती है जो कि न केवल वातावरण अपितु मानव स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। डॉ काला ने बताया की प्राकृतिक खेती के अंतर्गत जिन अवयवों का निर्माण किया जाता है ,

वह पूर्णतः स्थानीय संसाधनों जैसे गोमूत्र, गाय का ताजा गोबर, पेड़ के तने के पास की मिट्टी, हींग, बुझा हुआ चुना आदि द्वारा घर पर ही तैयार किया जा सकता है ।जिससे कृषक प्राकृतिक फफूंदनाशी, रोगनशी एवं उर्वरकों आदि के निर्माण में आत्मनिर्भर हो जाता है । प्राकृतिक खेती के तहत मृदा के स्वास्थ्य को केंद्र बिंदु पर रखा जाता है, मृदा के स्वास्थ्य में सुधार से ही खेत में होने वाले सभी फसलों की गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है,

डा काला ने बताया की प्राकृतिक खेती के चार प्रमुख स्तंभ होते हैं जिसमें पहला बीजामृत दूसरा जीवामृत तीसरा आच्छादन और चौथा वापसा होता है। इस अवसर पर तुलसी गडिया (पूर्व प्रधान ग्वालदम),अनिता देवी, उमा देवी,सुशीला देवी,दर्शनी देवी,पुष्पा देवी नंदी देवी आदि किसान उपस्थित रहे।

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