यूसीसी लागू होने के बाद भी पर्वतीय क्षेत्रों करवाये जा रहे नाबालिकों के विवाह, आज फिर हुई प्रशासन की कार्यवाही

प्रदेश में यूसीसी जैसे कानून लागू होने के बाद भी पर्वतीय क्षेत्रों में बाल विवाह करवाने की परिपाटी बदल नहीं रही है। हालांकि प्रशासन द्वारा जहाँ बाल विवाह की सूचनाएं मिल रही हैं वहां तुरंत कार्यवाही करते हुए बाल विवाह रूकवाए जा रहे हैं किन्तु सवाल यह है कि अभिभावक बच्चों के बेहतर भविष्य बनाने से पहले ही बाल्यकाल में शादी जैसे बंधनों में क्यों बाँध दे रहे हैं?


ज्ञातव्य है कि पिछले 3 महीनों में वन स्टॉप सेंटर और चाइल्ड हेल्प लाइन की सजगता और सतर्कता से आज सहित 15 बाल विवाह रुकवाने जा चुके हैं।


गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रशासक रंजना गैरोला भट्ट, चाइल्ड हेल्प लाइन के सुपरवाइजर सुरेंद्र सिंह एवं केस वर्कर अखिलेश सिंह द्वारा नाबालिक बालिका के घर पर जाकर उसके माता पिता को समझाया गया। मौके पर सभासद मतवाए सिंह भंडारी एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्त्री विनीता असवाल भी मौजूद थी। इसके पश्चात वर पक्ष के घरवालों से भी बात कर उन्हें समझाया गया कि बाल विवाह कानूनन अपराध है जिसके लिए 2 वर्ष का कारावास और 1 लाख का जुर्माना दोनों हो सकता है। इसके अलावा दोनों पक्षों को ucc की जानकारी भी प्रदान की जिसके अंतर्गत किसी भी विवाह का पंजीकरण आवश्यक है और यदि किसी नाबालिक विवाह का पंजीकरण होता है तो उस स्थिति में दोनों पक्षों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्यवाही की जानी सुनिश्चित है।

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