पुष्कर पर्वत पर नागनाथ मंदिर में विष्णु पुराण का आयोजन, क्या है यहाँ का इतिहास और धार्मिक मान्यता जानिए

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पुष्कर पर्वत पर नागनाथ मंदिर में विष्णु पुराण का आयोजन, क्या है यहाँ का इतिहास और धार्मिक मान्यता जानिए


राजेन्द्र असवाल/केदारखण्ड एक्सप्रेस न्यूज़

पोखरी। ऐतिहासिक तीर्थ स्थल नागनाथ मंदिर मे  महात्मा राजेन्द्र नाथ द्वारा विष्णु पुराण का आयोजन  किया जा रहा है। यह आयोजन 17 अक्टूबर से 28 तक चलेगा। विष्णुपुराण कथा वाचक पंडित अनूप किमोठी एवं वेदपाठी ब्राहमण शशि जोशी,विनय प्रसाद सहित पंच लोग है। इस कार्य का संपादन करने का सहयोग शशि सिंह नेगी,नारायण सिंह नेगी,कुक्की बर्त्वाल मातवर रावत सहित देवर गांव के लोग लगे है।

नागनाथ मंदिर का पौराणिक इतिहास

केदारखंड के अनुसार  कहा जाता है कि सृष्टिकर्ता ब्रह्मा के शाप से कद्रू पुत्र नागो ने नागनाथ क्षेत्र मे आकर उन्ही के आदेशानुसार यहां तीन कल्प तक घोर तप किया। तप करने मे प्रमुख नागो मे पुष्कर नाग, पद्मनाग ,वासुकीनाग,तक्षक नाग, केवज, अश्वत्थ, शेख, मंजपुली, महापद्म, एकतारा, द्वारिका, त्रिपुरा, एक पुंछ, द्विपुंछ व बहपंछ नागो के अलावा अनेक नागो के बंदोबस्त ने यहां तप किया। जिससे  प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने दर्शन दिया और आशीर्वाद स्वरूप उन्हे अपना आभूषण बनाया। भगवान शंकर ने उन्हें वरदान दिया कि जब तक यह श्रृष्टि रहेगी, यह क्षेत्र तुम्हारे ही नाम से प्रसिद्ध रहेगा। इसी वजह से इस क्षेत्र का नाम नागनाथ पड़ा और पुष्करनाग ने जिस पर्वत पर बैठ कर तप किया , इस पर्वत का नाम पुष्कर पर्वत पड़ा।

मंदिर का निर्माण 

नागनाथ मंदिर का निर्माण 20वीं सदी मे हुआ और सैवो व शंकर भक्तो ने मिलकर  पत्थरो को तरास कर नागर शैली में निर्माण किया गया।  नागनाथ मंदिर ग्राम देवर की सीमा में स्थित होने के वजट से इन ग्रामीणो का बर्चस्व अधिक रहता है। 

नागनाथ मंदिर का महत्व 

मंदिर मे शेषनाग शैया मे बैठे विष्णुभगवान , लक्ष्मी रूप मूर्ति  स्थापित है तथा साथ मे कई नाग छड़ियां भी बिरामान है। नागनाथ मंदिर  जनपद चमोली का एक ऐतिहासिक मंदिर होने के वजह से यहां श्री कृष्ण जन्माष्टमी को भव्य मेला लगाता है। साथ ही क्षेत्र के लोगो का इस मंदिर की महता पर  बहुत विश्वास रहता है। लोग यहां पर मनौतियां मांगते है,पूरा होने पर पूजा-अर्चना करते है।कहा जाता है कि निसंतान दंपति को संतान प्राप्ति भी होती है। यही नही भयंकर सूखा पड़ने पर क्षेत्र के लोग  नागनाथ स्वामी के पास बारिश मांगने जाते है,पूजा सम्पन्न होते ही शीघ्र बारिश आती है।

नागनाथ का ऐतिहासिक स्थल

नागनाथ क्षेत्र तीर्थाटन के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। नागनाथ मंदिर के ठीक ऊपर चोटी मे  गढ़ी मे राजराजेश्वरी देवी का मंदिर है।और मंदिर के ऊपरी भाग पर काबेरेश्वर शिव का मंदिर है।मंदिर के बाकी और नागराज अवस्थित है,बताते है इस जल को पीने से दूध के बराबर प्रोटीन मिलता है। नागनाथ मे वन विभाग का रेंज कार्यालय है, और यहां 1901 से शिक्षा का केंद्र रहा है जो आज इंटर कालेज से लेकर पीजी कालेज स्थापित है।

नागनाथ मंदिर  पहुंचने के लिए यातायात का साधन

रुद्रप्रयाग से पोखरी व नागनाथ मंदिर तक मोटर सड़क 55किमी0दूरी,गोपेश्वर से पोखरी व नागनाथ 65 किमी0 तथा कर्णप्रयाग से पोखरी व नागनाथ पहुचने के लिए 30किमी0 की दूरी तय कर पहुंचा जाता है ।आजकल विष्णुपुराण कथा श्रवण के लिए दूर-दूर से श्रद्घालु दर्शको का यहां पहुचने का सिलसिला जारी है।

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