पोखरी में वेंटिलेटर पर जीवनदायिनी सेवा, निरकुंश 108 कर्मी, खतरे में आम आदमी की जान
पोखरी में वेंटिलेटर पर जीवनदायिनी सेवा, निरकुंश 108 कर्मी, खतरे में आम आदमी की जान
–संदीप बर्त्वाल/केदारखण्ड एक्सप्रेस न्यूज़
पोखरी। पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति हमेशा से दयनीय रही है। यहां कभी पैदल पगडंडियों पर मरीज दम तोड़ लेते हैं तो कभी 108 जीवनदायिनी के इंतजार में असमय ही जीवन खो देते हैं। चमोली के विकासखंड नागनाथ पोखरी में भी जीवनदायिनी 108 सेवा वेंटिलेटर पर अंतिम सांसे गिन रही है। जबकि इस सेवा से जुड़े चालाक और कर्मचारियों कि न केवल मनमानी है बल्कि आम मरीजों के साथ गुंडागर्दी भी है ।
पोखरी क्षेत्र में अगर आप इमरजेंसी में 108 को फोन करना हो तो तुम्हें दूसरी तरफ से पहले तो 108 के न पहुंचने के बहाने मिलेंगे लेकिन आप अगर थोड़ा सा और विनती करेंगे तो आपको फटकार के साथ-साथ धमकियां भी मिलेंगी जी हां पोखरी मैं संचालित हो रही जीवनदायिनी 108 सेवा के कुछ ऐसे ही हाल है। लेकिन लाख शिकायतों के बाद मजाल क्या चमोली जनपद का स्वास्थ्य महकमा के उच्च अधिकारी इस पर कोई संज्ञान लें। जिले में बैठे जिलाधिकारी को भी दूरस्थ क्षेत्रों की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था और बेलगाम कर्मचारियों पर कोई लगाम नहीं है नतीजा आम जनता न केवल परेशान है बल्कि कहीं बार सिस्टम की नाकामी के चलते अपनी जाने भी गवा रहे हैं।
ताजा मामला बीते सोमवार को देखने को मिला जब विकास खण्ड पोखरी के दूरस्थ गांव रोता से गर्भवती महिला को पोखरी आने तक आधा रास्ता पैदल चलना पड़ा, उसके बाद पोखरी पहुँचने पर सीएचसी पोखरी में एडमिट किया गया। जहाँ से उन्हें आगे रेफेर किया गया। जिसके बाद ग्रामीण सरत पंवार बताते हैं कि 108 सेवा पर हमारे द्वारा कॉल किया गया। जिसको लेकर उनके कर्मचारियों द्वारा पहले तो कई बहाने बनाये गये लेकिन तीमारदारों द्वारा बार बार विनती करने पर उन्हें धमकी दी गई।
यह घटना पहली घटना नहीं है बल्कि पोखरी में स्वास्थ्य विभाग का कुछ ऐसा ही हाल है। लेकिन जिले के संबंधित अधिकारी संज्ञान लेने को तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए और पहाड़ों में ऐसे निरंकुश कर्मचारी अधिकारियों को हटा देना चाहिए।