गडबडझाला : रूद्रप्रयाग बाजार में चार दुकानों का निर्माण, मालिक का नहीं पता

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गडबडझाला : रूद्रप्रयाग बाजार में चार दुकानों का निर्माण, मालिक का नहीं पता

कुलदीप राणा आजाद/केदारखंड एक्सप्रेस

रूद्रप्रया। इन दिनों रूद्रप्रयाग मुख्य बाजार में नगर पालिका परिषद की भूमि पर चार दुकानों का निर्माण कार्य हुआ है लेकिन इन दुकानों का स्वामी कौन है इसकी जानकारी स्पष्ट रूप से नहीं मिल पा रही है ऐसे में अक्सर विवादों में रहने वाली नगर पालिका परिषद रूद्रप्रयाग एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार अवैध निर्माण कार्य को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। आरोप है कि पालिका द्वारा बिना टेंडर किए ही चार दुकानों का निर्माण कर दिया गया है। जबकि नगर पालिका इन दुकानों के निर्माण को लेकर कुछ भी स्पष्ट करने से कतरा रही है। 

दरअसल नगर पालिका परिषद रूद्रप्रयाग के मुख्य बाजार के डाट पुल के समीप तूना-बौंठा मोटर मार्ग के शुरूआत में हाल ही में चार दुकानों का निर्माण हुआ है, लेकिन इन दुकानों का स्वामी कौन है इसका अभी  पता नहीं चल पा रहा है। क्योंकि भूमि नगर पालिका परिषद रूद्रप्रयाग की है ऐसे में नगर पालिका परिषद रूद्रप्रयाग के अधिशासी अधिकारी सीमा रावत से पूछा गया तो उन्होंने जानकारी दी कि संबंधित मामले में दुकान बनाने का प्रस्ताव बोर्ड बैठक में प्रस्तावित है, लेकिन इससे आगे वे कुछ भी कहने से बचते नजर आये।  जबकि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना में भी नगर पालिका ने स्पष्ट किया है कि उनके द्वारा नगरपालिका बस अड्डे में डाट पुल के पास कोई दुकानों का निर्माण नहीं किया गया है।

क्या कहते हैं सभासद

सभासद सुरेंद्र रावत ने बताया कि नगर पालिका की बोर्ड बैठक में  कुछ महीने पहले डाट पुल के समीप चार दुकान बनाने का प्रस्ताव आया था जिसके निर्माण को लेकर सहमति बनी थी लेकिन इस निर्माण कार्य  को लेकर ना ही कोई सिलेक्शन बोंन्ड बना है और ना ही ऐसी कोई टेंडर प्रक्रिया हुई है। यह निर्माण किसने और किस आधार पर किया इसकी जानकारी नहीं है। 

वही सभासद अंकुर खन्ना ने बताया कि इस कार्य को लेकर नगर पालिका परिषद में बोर्ड प्रस्ताव तो आया था लेकिन इसके टेंडर हुए या नहीं, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

सभासद संतोष रावत ने बताया कि उक्त निर्माण से संबंधित प्रस्ताव बोर्ड बैठक में आया था लेकिन इसके ना ही कोई टेंडर हुए हैं ना ही वर्क आर्डर हुए हैं और ना सिलेक्शन बोंड के आधार पर इस कार्य को करवाया गया है। यह कार्य बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं व जनप्रतिनिधि सफेदपोश द्वारा करवाया जा रहा है जिसका युवा कांग्रेस विरोध करती है और आने वाले दिनों में इसके खिलाफ आंदोलन करेगी। 

सभासदों और नगर पालिका अधिशासी अभियंता के बयानों से एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि यह कार्य नगर पालिका द्वारा नहीं करवाया जा रहा है हालांकि बोर्ड बैठक में यह कार्य प्रस्तावित था लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर 20 से 30 लाख रुपए की धनराशि खर्च कर पालिका की जमीन पर मुख्य बाजार में प्रशासन और नगर पालिका की नाक के नीचे किसने यह अवैध निर्माण कार्य किया है? दूसरा सवाल यह है कि अगर वाकई नगर पालिका द्वारा यह कार्य करवाया जा रहा है तो आखिर क्यों नियमों को ताक पर रखकर इसका टेंडर नहीं हुआ? उससे भी बड़ा सवाल यह है कि जब नगर पालिका परिषद  रूद्रप्रयाग को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी तो उन्होंने इस निर्माण कार्य को शुरू होने के दौरान रोक क्यों नहीं लगाई। सवाल यहाँ  जिला प्रशासन  रूद्रप्रयाग की कार्यप्रणाली पर भी खड़े होते हैं कि आखिर बाजार के बीचो बीच चार दुकानों का अवैध निर्माण कार्य हो जाता है क्यों पटवारी समेत अन्य अधिकारियों द्वारा इस कार्य पर रोक नहीं लगाई जाती है? 

दरअसल सूत्रों की माने तो रुद्रप्रयाग नगर पालिका परिषद ही खुद इस निर्माण कार्य को करवा रही है और इन दुकानों को गुपचुप तरीके से किराए पर भी दिया जा चुका है हालांकि बताया ऐसा भी जा रहा है कि रुद्रप्रयाग में अवैध तरीके से कहीं दुकानें तैयार की जा चुकी हैं जिनका किराया नगर पालिका परिषद के पास ना आकर किसी व्यक्ति विशेष के पास जाता है। 

पूरे मामले में जिलाधिकारी मनुज गोयल ने बताया कि उनके संज्ञान में यह मामला नहीं है और ना ही उनके पास इससे संबंधित कोई शिकायत प्राप्त हुई है मामले का पता कर अगर किसी भी तरह की अनियमितता हुई है तो इसमें जांच कर कार्यवाही की जाएगी।

उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले दिनों में इस तरह की अनियमितता का संज्ञान लेकर कोई ठोस कार्यवाही की जाए। 

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