नौवें अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर एनआइटी श्रीनगर में योगोत्सव का आयोजन

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सपना बुटोला केदारखंड एक्सप्रेस न्यूज़/ आजादी का अमृत महोत्सव को समर्पित नौवें अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड में सशस्त्र सीमा बल श्रीनगर गढ़वाल एवं रोटरी क्लब श्रीनगर गढ़वाल के सहयोग से योगोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के साथ एनआईटी के छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों और एसएसबी जवानों सहित करीब 250-300 योग साधकों ने एक साथ मिलकर योगाभ्यास किया। ‌‌ योग शिविर का शुभारम्भ निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी के संबोधन के साथ शुरू हुआ। समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि योग प्राचीन भारत की अनमोल परम्पराओं में से एक ऐसी विद्या जिसका प्रयोग भारत ही नहीं अपितु समूचा संसार अपने शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य के संवर्धन एवं संरक्षण के साथ विभिन्न रोगों के उपचार में कर रहा है। योग का ऐतिहासिक परिचय देते हुए उन्होंने कहा कि वेदों कि भारतीय संस्कृति में भी योग परंपरा का वर्णन है और महर्षि पतंजलि ने विभिन्न आसनों और ध्यान-पारायण क्रियाओ को सुव्यवस्थित कर योग सूत्रों को संहिताबद्ध किया है। भगवद्गीता के श्लोक “योगः कर्मसु कौशलम्” को उद्धृत करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि “किसी भी काम को निपुणता से करना और अपने मन को नियंत्रित और उसके अनुसार दिनचर्या को नियमित करना भी अपने आप में एक योग है। यदि हम इस सार को समझ लेते है, तो योग से जुड़ी जीवन शैली को हम और आसानी से समझ सकेंगे।” योग की महत्ता का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि नियमित योगाभ्यास व्यक्ति को तनाव से मुक्ति,निरोगी काया, शारीरिक दृढ़ता प्रदान करने के साथ उसके अंदर सहनशीलता, रचनात्मकता, सकारात्मक दृष्टिकोण जैसे गुणों को विकसित करते हुए संपूर्ण विश्व को एक परिवार के रूप में देखने की भावना जाग्रत करने में सहायक होता है। छात्र जीवन में योग के विशेष महत्व पर जोर देते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि जब एक छात्र के जीवन में योग के महत्व की बात आती है, तो यह उन्हें संतुलित अवस्था और मन की शांति बनाए रखते हुए चिंता मुक्त करने में मदद करता है जो अंततः छात्रों को बेहतर अकादमिक प्रदर्शन करने और उन्हें अपनी क्षमता का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद करता है। उन्होंने कहा कि अध्ययन के मुताबिक यह पाया गया है कि योगाभ्यास करने से छात्रों की एकाग्रता अवधि में सुधार होता है, उनका अपनी भावनाओं और आवेगों पर बेहतर नियंत्रण होता है, और इसलिए वे व्यावहारिक होते हैं और जीवन में सार्थक निर्णय लेने में तुलनात्मक रूप से अधिक सक्षम होते है । उन्होंने कहा कि योगाभ्यास छात्रों के अंदर आत्म-सम्मान, आत्मविश्वास रचनात्मकता और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने के साथ साथ चिंता, अवसाद,नशे के प्रवृत्ति, ब्लडप्रेशर, शुगर जैसी विभिन्न प्रकार की मानसिक और शारीरिक दुर्बलताओं से मुक्ति दिलाने में अद्भुत काम कर सकता है। इस मौके पर माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि योग तो हम सदियों से करते आए हैं पर प्रधानमंत्री ने योग को न केवल अन्तरराष्ट्रीय पहचान दिलाई, बल्कि उनके अथक प्रयसों के परिणाम स्वरुप संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 21 जून को “अंतरराष्ट्रीय योग दिवस” के रूप में घोषित किया गया और 2015 से प्रतिवर्ष 21 जून को “अंतरराष्ट्रीय योग दिवस” संपूर्ण विश्व में पूरी भव्यता और गौरव के साथ मनाया जाता है। अपने सम्बोधन के समापन में प्रोफेसर अवस्थी ने योग प्रशिक्षकों, एनआईटी के छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों और एसएसबी के जवानों को इस राष्ट्रीय महापर्व में भाग लेने के लिए धन्यवाद दिया और सभी प्रतिभागियों का आह्वाहन किया कि वे योग दिवस के इस पवन अवसर पर वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को अपने मन में व्याप्त करने और योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करते हुए प्राचीन भारतीय जीवन शैली से जुडी इस महान परंपरा को आगे बढ़ाने का संकल्प लें। ‌‌ ‌‌इस योगोत्सव कार्यक्रम में एच एन बी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के योग विभाग के प्रशिक्षकों जयराम जी एवं श्री लक्ष्मीकांत जी के मार्गदर्शन में सभी प्रतिभागियों ने ताड़ासन, मकरासन, वृक्षासन, वज्रासन एवं अनुलोम विलोम, शीतली, उज्जयी , भ्रामरी, भस्त्रिका आदि विभिन्न योग आसन और प्राणायाम क्रियाएं की । समारोह के अंत में माननीय निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी ने योग प्रशिक्षकों और एसएसबी के अधिकारियो को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया और कार्यक्रम के संचालक डॉ राकेश कुमार मिश्रा ने सभी प्रतिभगियों एवं प्रशिक्षकों को धन्यवाद ज्ञापित किया।