लखपति दीदी के बहाने शैला दीदी पर रहा कार्यक्रम केन्द्रित, माना जा रहा टिकट लगभग तय
-कुलदीप रराणा आजाद/रूद्रप्रयाग
रूद्रप्रयाग। उत्तराखंड के मंगलौर और बद्रीनाथ की सीट पर उपचुनाव में करारी शिकस्त पाने के बाद केदारनाथ के उपचुनावों में भाजपा अपनी साख बचाने की भरसक प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का दो बार केदारनाथ विधानसभा का दौरा बारिश की भेंट चढ गया था लेकिन रविवार को जब तीसरी बार केदारघाटी में आने की चुनावी मुराद पूरी हुई तो लखपति दीदी अभियान, शक्ति को सम्मान कार्यक्रम के बहाने दिवंगत विधायिका शैला दीदी पर कार्यक्रम ज्यादा केन्दित नजर आया। राजनीति के पंडित लगभग यह तय मान रहे हैं कि केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में शैला रानी रावत की बेटी को ही टिकट मिलना लगभग तय है। लखपति दीदी कार्यक्रम में ज्यादातर भाजपा के वक्ताओं ने शैला रानी रावत के कार्यकाल को खूब ना केवल याद किया बल्कि उनकी सिम्पैथी बटोरने का भी प्रयास किया। मंच पर शैलपुत्री एश्वर्या रावत ने भी जब अपना वक्तव्य दिया तो वे भी जनता से आशीर्वाद मांगती नजर आई।
अहम बात यह रही कि बाकि भाजपा के प्रबल दावेदारों से मंच पर उदबोधन तक नहीं करवाया गया। भाजपा के तीन मंत्री सौरभ बहुगुणा, सुबोध उनियाल और सतपाल महाराज के उदबोधन में भी शैला दीदी के राजनीतिक कार्यकाल का खूब सराहना की गई। जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिस तरह केदारनाथ विधानसभा में करोड़ों रूपयों की योजनाओं का शिलान्यास, लोकार्पण किया वहीं करोड़ों रूपयों की योजनाओं को वित्तीय स्वीकृति देकर जनता को सौगात दी। जबकि शैला रानी रावत के कार्यकाल को याद कर उनके अधूरे सपने को पूरा करने के लिए फिर से जनता का आशीर्वाद माँगा।
भाजापा में वैसे दावेदारों की एक बड़ी फेरिस्त है, पूर्व विधायक आशा नौटियाल, दर्जाधारी चंडी भट्ट, शैलपुत्री एश्वर्या रावत, पूर्व जिलाध्यक्ष दिनेश उनियाल, कुलदीप रावत, जयवर्धन कांडपाल, संजय शर्मा, पंकज भट्ट, देवेश नौटियाल टिकट की दौड़ में हैं। हांलाकि राजनीति के गलियारों में तीन नाम आशा नौटियाल, कुलदीप रावत और एश्वर्या का सबसे अधिक चर्चाओं में आ रहा है, लेकिन रविवार को अगस्त्यमुनि में हुए कार्यक्रम में जिस तरह तमाम दावेदारों को अलग थलक छोड़ शैला दीदी पर कार्यक्रम केन्दित हुआ उससे ऐसा लगता है शैलपुत्री को टिकट मिलना तय है। वैसे भाजपा की यह परम्परा भी रही है कि जब भी ऐसी परिस्थितियों में उपचुनाव हुए हैं तो परिवारजनों को ही टिकट दिया जाता है, यह भी सत्य है कि लोक सभा चुनावों में प्रचार के दौरान शैला रानी रावत का पैर फिसलकर चोटिल होना ही उनके जाने का अहम कारण रहा है। जबकि वे पहले से कैंसर से भी पीड़ित थी, ऐसे में भाजपा के लिए वे आखिरी समय तक भी काम करते रहने का ऋण भाजपा को चुकाना है। अब वह एश्वर्या को टिकट देकर कर्ज चुकानी है या फिर एश्वर्या को पार्टी में अन्य जिम्मेदारी देकर किसी और पर भरोसा जताती है, लेकिन इस भाजपा को केदारनाथ की सीट जितना पूरे देश में भाजपा की साख बचाना जैसा हो रखा है।