बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया आज से शुरू, पंच पूजाओं के साथ होता है देवताओं का आगमन

पौराणिक काल से चली आ रही परंपराओं के अनुसार बदरीनाथ में छह माह मनुष्य की ओर से और छह माह देवताओं की ओर से भगवान बदरीनाथ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जैसे ही पंच पूजाएं शुरू होती हैं धाम में देवताओं का आगमन शुरू हो जाता है। शीतकाल में कपाट बंद होने के बाद पूजाओं का दायित्व देवताओं को दिया जाता है।

बदरीनाथ धाम में कपाट बंद करने से पहले होने वाली पंच पूजाओं का विशेष धार्मिक महत्व है। लोक मान्यता के अनुसार पंच पूजाओं के दौरान धाम में देवताओं का आगमन शुरू हो जाता है और कपाट बंद होने के बाद छह माह तक बदरीविशाल की पूजा-अर्चना का अधिकार देवताओं का होता है।

बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने से पांच दिन पहले पंच पूजाएं शुरू हो जाती हैं। विभिन्न मंदिरों में इस सीजन की अंतिम पूजाएं करने के बाद उन मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इसे ही पंच पूजाएं कहा जाता है। बदरीनाथ की पंच पूजाएं अनूठी होती हैं। मंदिर में पंच पूजाओं की शुरुआत गणेश मंदिर से होती है। सभी मंदिरों में अंतिम दिन पूजा-अर्चना रावल की ओर से की जाती है। विभिन्न पूजाएं करने के बाद गणेश मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

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