वेतन का 60 प्रतिशत हिस्सा गरीबों पर खर्च करेंगे मोहित डिमरी

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 वेतन का 60 प्रतिशत हिस्सा गरीबों पर खर्च करेंगे मोहित डिमरी




यूकेडी के युवा नेता ने जारी किया शपथ पत्र



रुद्रप्रयाग विधानसभा से चुनाव लड़ रहे उत्तराखंड क्रांति दल के युवा नेता ने मोहित डिमरी ने एक शपथ पत्र जारी किया है। उन्होंने कहा है कि  विधायक बनने के बाद अपने वेतन का 60 प्रतिशत हिस्सा गरीब बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च करेंगे। 


शपथ पत्र में यूकेडी के युवा नेता मोहित डिमरी ने कहा कि जनता का आशीर्वाद उन्हें मिलता है तो वह अपने वेतन का 60 प्रतिशत हिस्सा गरीब बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ ही निराश्रित, विधवा, असहाय, दिव्यांग लोगों के हित में खर्च करेंगे। 


उन्होंने कहा कि शहीदों और आंदोलनकारियों की भावना के अनुरूप राज्य बनाना है। यह मेरा संकल्प है कि विधायक बनने के बाद मैं आपका सेवक और आप मेरे मार्गदर्शक होंगे तथा विकास की रूप-रेखा कुछ नकली विशेषज्ञों द्वारा वातानुकूलित कमरों में नहीं बनाई जायेंगी बल्कि आपके साथ न्याय पंचायत स्तर पर सर्वसहमति से तैयार की जायेंगी और उनमें मैं अधिकारियों के साथ स्वयं उपस्थित रहूँगा। योजनाओं का क्रियान्वयन आपके द्वारा, आपकी देख-रेख में होगा और निर्माण के बाद उनका संचालन भी आपकी निगरानी में होगा।


मेरा दूसरा और बड़ा संकल्प यह है कि महिला मंगल दलों, युवक मंगल दलों, किसान व महिला समूहों, वन पंचायतों, सहकारी व सामूहिक ग्रामोद्योगों का सशक्तीकरण करना है। इनको ताकत देकर ही सरकारी तंत्र को उनके कर्तव्यों के प्रति जवाबदेह बनाया जा सकता है, सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को अपने अनुकूल बना कर उनका वांछित और घोषित लाभ लिया जा सकता है।


उन्होंने कहा कि जब सबको आवास मिल रहा है तो हजारों परिवार बेघर क्यों हैं? जब शिक्षा मौलिक अधिकार है तो गरीब बच्चे इससे वंचित क्यों हैं? ईलाज की बड़ी-बड़ी डींगें हाँकने वालों से पूछें कि बीमारियों का ताण्डव क्यों है, प्रसूताओं की मौतें क्यों हो रहीं हैं? बुजुर्गों की आँखों में आँसू और नौजवानों के हाथ बिना काम के खाली क्यों हैं? झूठे वादे करके चुनाव जीतकर जनता से छल करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही क्यों नहीं होती? ऐसे अनेक सवाल हैं, जिनको राजनीति के मदारियों ने मखौल में बदल कर रख दिया है!


मोहित डिमरी ने कहा कि बहुत हो गया छद्म राजनीति का खेल, अब व्यवस्था परिवर्तन का समय है। जनता को व्यवस्था के केंद्र में स्थापित करने का समय है।

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