वर्तमान समय में होने वाली ऑनलाइन ठगी यानि कि, साइबर अपराध से हर कोई त्रस्त है।

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 वर्तमान समय में होने वाली ऑनलाइन ठगी यानि कि, साइबर अपराध से हर कोई त्रस्त है। 



हालांकि हमारे यानि पुलिस के स्तर से लगातार जन-जागरुकता अभियान चलाये जाते रहे हैं, परन्तु फिर भी साइबर ठग किसी न किसी रूप में भोले भाले मानुष को अपने जाल में लेकर उनकी गाढ़ी कमाई को ठग जा रहे हैं। 

फिर ठगी के शिकार हुए व्यक्तियों द्वारा सम्बन्धित नजदीकी थाने पर या जनपद पुलिस के साइबर सैल पर अपनी शिकायत दर्ज की जाती है।

कुछ शिकायत कर्ताओं द्वारा 155260 पर कॉल कर ली जाती है तथा कुछ के द्वारा इस हेतु बने एनसीआरपी पोर्टल पर शिकायत दर्ज की जाती है। 

यह शिकायतें जो जिस जिले से सम्बन्धित होती हैं, सम्बन्धित थाने पर ऑनलाइन प्राप्त होती हैं, जिन पर पुलिस के स्तर से आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाती है। 

इन साइबर अपराध से सम्बन्धित शिकायतों पर प्रभावी कार्यवाही किये जाने हेतु वर्तमान समय में उत्तराखण्ड पुलिस मुख्यालय के स्तर से उत्तराखण्ड के सभी जिलों में पुलिस उपाधीक्षक, ऑपरेशन्स की नियुक्ति की गयी है। 

जनपद रुद्रप्रयाग में वर्तमान समय में सुश्री हर्षवर्द्धनी सुमन, पुलिस उपाधीक्षक, ऑपरेशन्स के रूप में तैनात हैं। 


पुलिस अधीक्षक, रुद्रप्रयाग श्री आयुष अग्रवाल द्वारा पुलिस उपाधीक्षक, ऑपरेशन्स को टास्क देते हुए निर्देशित किया गया है कि, जनपद से सम्बन्धित सभी साइबर सम्बन्धी शिकायतों का थानावार परीक्षण करते हुए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। 

निर्गत निर्देशों के क्रम में पुलिस उपाधीक्षक ऑपरेशन्स द्वारा जनपद के सभी थानों पर स्वयं भ्रमण कर उनके साइबर अपराध सम्बन्धी रजिस्टरों को चेक किया जा रहा है, साथ ही उनके थाने पर संचालित ऑनलाइन पोर्टल को चेक कर लम्बित शिकायतों का उचित निस्तारण किये जाने हेतु सम्बन्धित थाना प्रभारियों एवं उपनिरीक्षकों को निर्देशित किया जा रहा है। 


पुलिस उपाधीक्षक, ऑपरेशन्स, जनपद रुद्रप्रयाग द्वारा आज थाना ऊखीमठ पहुंचकर थाने से सम्बन्धित साइबर अपराधों की समीक्षा की गयी। 

उपस्थित थानाध्यक्ष व उपनिरीक्षकों को स्पष्ट तौर पर निर्देशित किया गया कि, प्राप्त होने वाली शिकायतों की निरन्तर मॉनीटरिंग करें। 

जो शिकायत जिस रूप में प्राप्त होती है, तत्काल जनपदीय साइबर सैल पुलिस कार्यालय से समन्वय स्थापित कर आवश्यक तकनीकी सहयोग प्राप्त करें। 

शिकायत से सम्बन्धित तथ्यों पर आवश्यक जानकारी तत्काल शिकायतकर्ता से प्राप्त करें। 

यदि शिकायत ऑनलाइन प्राप्त हुई है तथा किसी अन्य थाने या अन्य जनपद से सम्बन्धित है, तत्काल सम्बन्धित को ऑनलाइन अन्तरित कर इसकी सूचना सम्बन्धित जिले अथवा थाने को भी दें। 

जब किसी के साथ साइबर फ्रॉड हो ही जाता है तो फिर ऐसे प्रश्नों का कोई औचित्य नहीं रह जाता है कि, आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था!!

या आपने ऐसा क्यों किया? ऐसे समय में जितना सम्भव हो सके उसकी मदद की जाये। 


साथ ही निर्देशित किया गया कि, थाना स्तर पर भी लोगों को जागरुक करे, दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में भी वर्तमान समय में इन्टरनेट की पहुंच है, ऐसे में आवश्यक है कि हर किसी को जागरुक अवश्य किया जाये। जागरुकता के उपरान्त भी कोई साइबर फ्रॉड का शिकार हो जाता है तदनुसार तत्काल आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की जाये। 

वर्तमान समय में साइबर अपराध के अनावरण से सम्बन्धित मुख्यालय स्तर से आयोजित होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों को रुचि लेकर ग्रहण किये जाने हेतु निर्देशित किया गया ताकि, साइबर अपराध पीड़ित लोगों को त्वरित न्याय प्राप्त हो सके। 

पुलिस उपाधीक्षक, ऑपरेशन्स द्वारा वर्तमान में जनपद के हर एक थाने पर भ्रमण कर उनके स्तर पर प्राप्त एवं लम्बित साइबर सम्बन्धी शिकायतों की समीक्षा की जा रही है। 


जनपद रुद्रप्रयाग पुलिस की जनपद रुद्रप्रयाग की सम्भ्रान्त जनता से अपील है कि, आपका पैसा आपका अपना है, इसे यूं ही जाया न होने दें। 

किसी भी प्रकार के लोभ लालच, लॉटरी के फेर में न फंसें। 

आजकल कई व्हट्सएप ग्रुपों में इस प्रकार के हजारों मैसेज तैरते रहते हैं, जैसे कि, *केबीसी से सम्बन्धित, बेरोजगारी भत्ता योजना, फ्री रिचार्ज जैसी स्कीमें, रामबाण योजना और न जाने कितने कुछ।*

यदि आप इन मैसेजों से सम्बन्धित लिंक पर जायेंगे तो पाते हैं, कि वहां पर आपको अपनी बहुत सारी डिटेल्स भरनी होती हैं, ऐसे में स्वाभाविक है कि, अन्जान लोगों के पास आपका मोबाइल नम्बर भी चला जाये।


इस चीज को मत भूलिए कि, जो कोई भी ठग है, वह न जाने कहां बैठा होगा और हम, आप जैसे लोगों को फोन करता रहेगा।

उसने 100 कॉल्स मिलाई और हममें से एक भी झांसे में आ गया तो उसका तो हो गया फिर काम तमाम!!


इसलिए किसी भी तरह के भ्रामक मैसेजों या काल के जाल में नहीं फंसना है। 

हो सके तो अपने फोन के व्हट्सएप की सेटिंग की प्राइवेसी में जाकर ग्रुप्स में जोड़े जाने हेतु उन्हीं लोगों को अधिकृत करें, जिनका नम्बर आपके पास हो। अन्यथा की दशा में आपके नम्बर को न जाने कोई भी किसी भी ग्रुप में एड कर सकता है। 


इसी प्रकार से यदि बात की जाये तो साइबर ठगी के कई तरीके हैं, पर उनसे बचने का पहला उपाय तो यही है कि, हमारा संयम और हमारा इग्नोरेंश। 

संयम यह कि, किसी लालच में न आयें और इग्नोरेंश यह कि, जो चीज समझ में नहीं आ रही उसकी तरफ ध्यान ही न दो, विशेष कर लेन देन के मामलों में।

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