चमोली: नौनिहालों के स्वास्थ्य के साथ बड़ा खिलवाड़, आँगनबाड़ी में आठ माह पुरानी एक्सपायरी सामग्री हो रही वितरित, महिला बाल विकास पोषित नहीं बच्चों को कर रहा कुपोषित

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चमोली: नौनिहालों के स्वास्थ्य के साथ बड़ा खिलवाड़,  आँगनबाड़ी में आठ माह पुरानी एक्सपायरी सामग्री हो रही वितरित, महिला बाल विकास पोषित नहीं बच्चों को कर रहा कुपोषित

@सोनिया मिश्रा/केदारखण्ड एक्सप्रेस 

गौचर। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा बच्चों को कुपोषण से मुक्त रखने के लिए चलाई जा रही कुक्ड फूड्, बाल पलास, टेक होम राशन व राष्ट्रीय पोषण मिशन जैसी योजना सवालों के घेरे में है। क्योंकि इन योजनाओं का जो मूल उद्देश्य था उनका क्रियान्वयन धरातल पर ठीक उसके विपरीत हो रहा है। जी हाँ हम बात चमोली जनपद के गौचर की कर रहे हैं जहाँ आँगनबाड़ी केन्द्र धारीनगर में बच्चों को मौत का सामान वितरित किया जा रहा है। यह हम इसलिए कह रहे हैं कि उत्तराखण्ड सरकार ने इन योजनाओें के अन्तर्गत 0 से 6 वर्ष के बच्चों, गर्भवती, धात्री महिलाओं एवं किशोरियों के स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार लाने व बच्चों में कुपोषण, बौनापन एवं किशोरियों से रक्त अल्पता की दर को कम करने इन योजना का उद्देश्य रहा  है लेकिन चमोली में दुधमुँहे नौनिहालों को 8 माह पहले एक्सपायरी हो चुकी राशन व सड़ी गली खाद्य सामग्री वितरित की जा रही है। 

यह पूरा मामला तब सामने आया जब एक अभिभावक ने गौचर के धारीनगर आँगनबाड़ी केन्द्र में बच्चों को बाँटी गई 8 माह पुरानी एक्सपायरी तिथि का सामान की वीडियों बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर दी। जब केदारखण्ड एक्सप्रेस ने इस पूरे मामले की तहकीकात की तो वीडियों को वायरल करने वाली महिला मीना मिश्रा ने बताया कि उनके दो बचचे सानवी व शिवासु धारीनगर आँगनबाड़ी केन्द्र में हैं, जिनको दिये जाने वाला पोषण आहार दाल, चना, बादाम, दलिया 8 माह पुराना दिसम्बर 2020 का दिया जा रहा है, जिसमें फुफूदी और कीड़े लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा खाद्य सामग्री खिलाकर बाल विकास विभाग बच्चों का पोषण तो नहीं कर रहा है लेकिन उन्हें कुपोषण का शिकार जरूर बना रहा है। उन्होंने कहा कि यह केवल मुझे नहीं बल्कि उनके पड़ोस में रहने वाली दीक्षु को भी इसी तरह का सामान दिया गया। जबकि पूरे आँगनबाड़ी केन्द्र में इसी एक्सपायरी और सड़ा गली खाद्य सामग्री बच्चों को दी जा रही है। धारीनगर आंगनबाड़ी केन्द्र में करीब 20 बच्चे हैं, लेकिन समझा जा सकता है कि बच्चों के स्वास्थ्य के साथ कितना बड़ा खिलवाड़ यहां किया रहा है। 

वायरल वीडियो सुनिए-



उधर आँगनबाड़ी कार्यकत्री सुलोचना देवी ने बताया कि हर महिने एक से पांच तारीख के बीच राशन वितरित होता है किन्तु आजकल बरसात होने के कारण पोषण आहार जल्दी खराब हो जा रही है। एक्सपायरी तिथि का सामान वितरण करने पर वह कुछ नहीं कह पाई।   अब कहा जा सकता है कि सरकार ने जिस उद्देश्य के साथ इस योजना को आरम्भ किया था उन्हीं का तंत्र किस तरह से सरकार की मंशा पर पलीता लगा रहा है। इसे महज एक लापरवाही नहीं कहा जा सकता है बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य के साथ एक ऐसा खिलवाड़ कहा जा सकता है जिसमें उनका जीवन ही दांव पर लग रहा है। 

बच्चों को कुपोषण से मुक्त रखने के लिए चलाई जा रही बाल विकास की यह योजना अपने उद्देश्यों पर फलीभूत तो नहीं हो पा रही है लेकिन जिस तरह से एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं बल्कि आठ माह पुरानी एक्सपायरी तिथि की सामग्री बच्चों को दी जा रही है इससे बच्चे जरूर कुपोषण का शिकार हो जायेंगे। सवाल यह है कि अगर बरसात के कारण भी यह सामग्री जल्दी खराब हो रही है तो फिर उस खराब सामग्री को बच्चों को क्यों दिया जा रहा है? और सबसे बड़ा सवाल यह है कि आठ माह पहले तक यह सामग्री वितरित क्यों नहीं की गई? साफ लगता है कि आँगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं दुकानदारों की मिलीभक्त के कारण एक्सपायरी तिथि के सामान को आँगनबाड़ी के नौनिहालों को देकर ठिकाना लगाया जा रहा है। जरूरत है चमोली के जिलाधिकारी तत्काल इस गम्भीर मामले का संज्ञान लेकर उचित कार्यवाही करें ताकि भविष्य में बच्चों के स्वास्थ्य के साथ इस तरह खिलवाड़ करने की घटनाओं की पुनावृत्ति न हो। 


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