उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा कालिदास जयंती का किया गया आयोजन,डिजिटल माध्यम से कार्यक्रम हुआ संपन्न
उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा कालिदास जयंती का किया गया आयोजन,डिजिटल माध्यम से कार्यक्रम हुआ संपन्न
कर्णप्रयाग /केदारखण्ड एक्सप्रेस न्यूज
उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी द्वारा चमोली जनपद में कालिदास जयन्ती का आयोजन किया गया।
संस्कृत अकादमी की ओर से डॉ हरीश चन्द्र गुरुरानी ने प्रास्ताविक उद्बोधन दिया।
डॉ प्रवीण शर्मा ने सुमधुर स्वर में मंगलाचरण कर श्रोताओं को आनंदविभोर किया।
डॉ. मृगांक मलासी ने छात्रों को संस्कृत बोलने हेतु प्रेरित करते हुए कहा कि आप प्रारम्भ में यदि अशुद्ध भी बोलें तो चिन्ता न करें। आप संस्कृत का अभ्यास करते रहें।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ विश्वबंधु ने बताया कि कालिदास की कृतियाँ हमारे देश की श्रेष्ठता का परिचय देतीं हैं । कालिदास संस्कृत साहित्य में ही नहीं अपितु अन्य भाषा साहित्यों में भी सम्मानित हैं। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ जनार्दन कैरवान ने संस्कृत साहित्य के मूर्धन्य कवि महाकवि कालिदास के मानवीय जीवन के वर्णन को उजागर किया । उस समय का मानव जीवन विषम परिस्थितियों में भी सम एवं उदार था । विशिष्ट अतिथि डॉ जितेंद्र ने कालिदास के कविव्यक्तित्व पर प्रकाश ड़ालते हुए कहा कि ओजस्वी कवि जीवन की सभी परिस्थितियों का वर्णन करने में समर्थ थे । वे प्रकृति से जुड़े थे एवं उनके पात्रों में भी प्रकृति प्रेम उभरता है । आगे विशिष्ट अतिथि डॉ चंद्रावती टम्टा ने वन्य मानवीय जीवन पर प्रकाश डाला कि वन्य मानवीय जीवन नगरीय मानवजीवन से पृथक नहीं था । उनमें त्याग , दया , आतिथ्य सत्कार आदि सभी भावनायें विद्यमान थीं ।
कार्यक्रम के मुख्यवक्ता डॉ जोरावर सिंह ने कालिदास की कवि प्रतिभा का वर्णन करते हुए कहा कि, वे प्रकृति की बेजान वस्तु में भी जान डालने में समर्थ थे । मेघदूत में मेघ द्वारा यक्ष अपनी विरह व्यथा को यक्षिणी तक प्रेषित करवाते हैं । सह वक्ता डॉ संदीप कुमार ने कालिदास जी के उपमा वर्णन की विशेषताओं प्रकाश डाला । उन्होंने कालिदास जी की उपमा अंग्रेजी साहित्य के प्रमुख नाटककार शेक्सपियर से की , की कालिदास के नाटक मानवजीवन की विशेषताओं को उजागर करते हैं । कार्यक्रम का कुशल संयोजन डॉ मृगांक मलासी (जनपद संयोजक) ने किया।सहसंयोजक हरीश बहुगुणा ने कार्यक्रम में आये विद्वानों का धन्यवाद कर कार्यक्रम का समापन किया ।
कार्यक्रम में डॉ. हरीश चन्द्र गुरुरानी, डॉ. रमेश चन्द्र भट्ट, डॉ. चन्द्रावती टम्टा, डॉ. नीरज पाँगती, डॉ. हरीश बहुगुणा, डॉ. प्रवीण शर्मा, एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।