भाजपा के विधायक हरबंस कपूर का निधन, पार्टी और क्षेत्र में शोक

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भाजपा के विधायक हरबंस कपूर का निधन, पार्टी और क्षेत्र में शोक

डैस्क केदारखण्ड एक्सप्रेस न्यूज़

देहरादून के कैंट क्षेत्र से दुखद खबर आ रही है यहाँ भाजपा विधायक हरबंस कपूर का निधन हो गया है। हरबंस कपूर के निधन से पार्टी और उनके क्षेत्र के लोगों में भी शोक व्याप्त है। कपूर लगातार आठ बार विधायक चुने गए थे। उन्होंने उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष पद का भार भी संभाला था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया और भगवाना ने उनकी आत्म की शांति की प्रार्थना की। उन्होंंने भगवान से परिवारजनों को इस दुख की घड़ी में धैर्य प्रदान करने की प्रार्थना भी की

जनता की समस्याओं को लेकर वह हमेशा रहते थे सजग

हरबंस कपूर भाजपा के बेहद सहज और शालीन नेता थे। उनकी जनता में अच्छी पकड़ थी। जनता की समस्याओं को लेकर वह हमेशा सजग रहते थे। विधायक की मौत की खबर मिलते ही पार्टी के नेताओं के साथ ही समर्थकों का उनके आवास पर पहुंचना शुरू हो गया है।

विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने गहरा शोक व्यक्त किया

बीजेपी के वरिष्ठ नेता हरबंस कपूर के निधन पर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि सभी के मार्गदर्शक रहे हरबंस कपूर का निधन एक युग का अंत है। इस अपूरणीय क्षति को भर पाना मुमकिन नहीं है। आज हमने राजनीति एवं समाज की सेवा में अग्रणी रहने वाली एक धरोहर को खो दिया है। उनकी गणना हमेशा सक्रिय रहने वाले विधायकों में थी। वह वंचित वर्गों की आवाज मुखर करने वाले तथा अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए सतत संघर्षरत रहने वाले जनसेवक थे।

कहा कि उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में विधायक रहे कपूर साहब ने विभिन्न पदों पर रहकर अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी एवं कर्तव्य निष्ठा से निर्वहन किया। वह पक्ष एवं विपक्ष दोनों के लिए ही एक प्रिय नेता थे। संसदीय प्रक्रिया के गहन जानकार और हमेशा लोक महत्व के अविलंबनीय मुद्दों को सदन में उठाने वाले एक सजग प्रहरी का निधन उत्तराखंड के लिए बड़ी क्षति है। विधानसभा अध्यक्ष ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की और शोक संतप्त परिवारजनों को इस दुख की घड़ी में धैर्य प्रदान करने की कामना भी की।

पूर्व कांग्रेस विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा कि हरबंस कपूर के निधन से उत्तराखंड की राजनीति का एक वट वृक्ष जैसा व्यक्तित्व हमारे बीच नहीं रहा। एक दशक उनके साथ काम करने का अवसर मिला। विधान सभा अध्यक्ष के रूप में उनका मार्ग दर्शन और संयम अनुकरणीय और उदाहरणीय था। 2007-12 की विधान सभा सम्भवतः सबसे अधिक आंदोलित विधान सभा थी। मैं तो विधानसभा के भीतर उपवास पर भी रहा, लेकिन उन्होंने सदैव कोशिश की कि हम समाधान व सुलह का रास्ता निकालें। हरबंस जी का जाना राजनीतिक सज्जनता का अवसान सा लगता है। मैं उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि देता हूं।

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