अर्जेंटीना-ब्रिटेन में फॉकलैंड द्वीप पर तनाव , अर्जेंटीना को भारत से मदद की आस

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 अर्जेंटीना-ब्रिटेन में फॉकलैंड द्वीप पर तनाव , अर्जेंटीना को भारत से मदद की आस


केदारखण्ड एक्सप्रेस न्यूज़

नई दिल्ली। फॉकलैंड या मअविनस द्वीप दक्षिण-पश्चिम अटलांटिक महासागर में स्थित है. ब्रिटेन के लोग इसे फॉकलैंड द्वीप कहते हैं जबकि अर्जेंटीना के लोगो मअविनस द्वीप।

   यह एक ऐसा द्वीप है, जिस पर अब भी ब्रिटेन का नियंत्रण है. ब्रिटेन और अर्जेंटीना के बीच इसकी संप्रभुता को लेकर विवाद है. अब इस विवाद में बीजेपी भी शामिल हो गई है।

  अर्जेंटीना की सरकार ने रविवार को भारत में इस द्वीप पर नियंत्रण को लेकर ब्रिटेन से बातचीत के लिए एक अभियान की शुरुआत की थी. इस बातचीत का मक़सद फॉकलैंड के विवाद को सुलझाना है. इस कैंपेन कमीशन का गठन अर्जेंटीना की सरकार ने किया है और इसका मक़सद संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अनुरूप फॉकलैंड विवाद पर ब्रिटेन से बातचीत शुरू करवाना है।

  अर्जेंटीना ने भारत में इस अभियान की शुरुआत तब की, जब दो दिन पहले ही ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भारत के दौरे से लौटे हैं. इसके अलावा फॉकलैंड को लेकर ब्रिटेन और अर्जेंटीना के बीच 1982 में हुए युद्ध की बरसी भी थी.

   अर्जेंटीना के विदेश मंत्री सैंटियागो कैफियेरो भारत में रायसीना डायलॉग में शामिल होने आए हैं. सैटिंयागो ने ही फॉकलैंड को लेकर भारत में अभियान की शुरुआत की है ।

    बीजेपी क्यों हुई असहज?

इस कैंपेन के उद्घाटन समारोह में बीजेपी के दो नेताओं को भी सदस्य के तौर पर शामिल होना था. इस कैंपेन में बीजेपी प्रवक्ता शाज़िया इल्मी और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु को सदस्य के तौर पर शामिल होना था. लेकिन कहा जा रहा है कि बोरिस जॉनसन के आने के बाद बीजेपी इस अभियान को लेकर असहज हो गई थी.

 अर्जेंटीना के इस कैंपेन कमीशन के सदस्य पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, बीजेपी नेता शाज़िया इल्मी, कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर और जानी-मानी शांतिदूत तारा गांधी भट्टाचार्जी भी हैं।

  भारत का रुख़

 इन सवालों के जवाब में भारत पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने बीबीसी से कहा, ”कमीशन का सदस्य बनने में कोई समस्या नहीं है. ब्रिटेन के सांसद और नेता भी ऐसे कई कमिशनों के सदस्य बनते हैं. लेकिन इससे सरकार के रुख़ में कोई परिवर्तन नहीं आता है. मुझे लगता है कि फॉकलैंड को लेकर भारत को तटस्थ ही रहना चाहिए. न तो ब्रिटेन का समर्थन करना चाहिए और न ही अर्जेंटीना का.”

  कंवल सिब्बल कहते हैं कि जहाँ तक उपनिवेशवाद के ख़िलाफ़ मुखर होने की बात है तो हर देश अपने हित के हिसाब से ही अपनी मुखरता दिखाते हैं और भारत भी ऐसा ही कर रहा है।

  फॉकलैंड को लेकर कैंपेन का उद्घाटन करते हुए अर्जेंटीना के विदेश मंत्री ने रविवार को कहा कि भारत पारंपरिक रूप ब्रिटेन के साथ विवाद सुलझाने का समर्थन करता रहा है।

  उन्होंने यह भी कहा कि अर्जेंटीना और भारत उपनिवेशवाद विरोधी विरासत और मूल्यों के साझेदार हैं।

  इस उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए शशि थरूर ने कहा था, ”भारत फॉकलैंड को लेकर ब्रिटेन और अर्जेंटीना के बीच के विवाद को बातचीत के ज़रिए सुलझाने का समर्थन करता रहा है. उपनिवेशवाद को ख़त्म करने में भारत की भूमिका अग्रणी रही है. भारत वार्ता के ज़रिए इस विवाद को भी सुलझाने का समर्थन करता है.”

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