सुभांई -चांचड़ी में ‘ढोल’ से शुरू हुआ दलितों पर स्वर्णों का ‘जुल्म’

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लोकेन्द्र रावत/गोपेश्वर

चमोली। जोशीमठ ब्लॉक के ग्राम पंचायत सुभांई चांचडी में अनुसूचित जाति के लोगों के उत्पीड़न पर अनुसूचित जाति संगठन के लोग भड़क गए हैं। उन्होंने मामले में राष्ट्रपति,राज्यपाल, मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक तथा जिलाधिकारी से हस्तक्षेप की गुहार की है। भारतीय मानवाधिकार एसोसिएशन के जिला प्रवक्ता पुष्कर सूरी ने जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में कहा है कि सुभांईं चाचड़ी में मई माह में बैसाखी मेले का आयोजन हो रहा था इसमें अनुसूचित जाति के ढोल वादक पुष्कर लाल को ढोल बजाना था। पुष्कर लाल का स्वास्थ्य खराब होने से वह आयोजन में ढोल नहीं बजा सका, इससे नाराज सवार्ण जाति के लोगों ने पंचायत बुलाकर उस पर ₹5000 का जुर्माना थोप दिया। पुष्कर लाल ने 3 मई को जुर्माना जमा कर दिया। पंचायत में फैसला किया गया कि अनुसूचित जाति के लोग धारों से पानी नहीं भरेंगे और ना श्रवण जाति के लोगों की दुकानों से सामान खरीदेंगे। जल जंगल वह जमीन पर भी उनका अधिकार नहीं होगा। सवण जाति के लोगों द्वारा उनका पूर्ण बहिष्कार करके गांव छोड़ने को मजबूर किया जा रहा है।

यही नहीं जातीसूचक शब्दों का प्रयोग कर गंदी गालियां दी जा रही है। जिला प्रशासन को इसका संज्ञान लेना चाहिए बताया कि पीड़ित व्यक्तियों द्वारा जोशीमठ थाने में 15 जुलाई को सामूहिक रूप से तहरीर दी गई पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन उत्पीड़न करने वालों की गिरफ्तारी नहीं की गई, तत्काल उनकी गिरफ्तारी होनी चाहिए।

ज्ञापन की प्रति पुलिस अधीक्षक को भी सौंप दी गई है। अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ी वैचारिक महासभा की अध्यक्ष पुष्कर बितवाल तथा महामंत्री राकेश टम्टा ने भी राज्यपाल मुख्यमंत्री तथा पुलिस महानिदेशक को जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन भेज कर कहा है की घटना को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। अनुसूचित जाति के लोगों द्वारा 28 लोगों के विरुद्ध नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई है इसके बावजूद इस पर कार्यवाही नहीं हो रही है। उन्होंने अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर नामजत लोगों को गिरफ्तार करने की मांग की है। मूल निवासी संघ ने भी राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिला अधिकारी को सौंप कर इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए एससी एसटी एक्ट के तहत दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग की है।

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