रिसाइकल के डिजिटल डीआरएस से चार धाम यात्रा में प्लास्टिक बोतलों का संग्रहण बढ़ा 700 प्रतिशत

केदारखण्ड एक्सप्रेस न्यूज/रुद्रप्रयाग।

कूड़ा व्यवस्थापन के लिए उत्तराखंड सरकार एवं जिला प्रशासन रुद्रप्रयाग की अनूठी पहल मददगार साबित हुई उत्तराखंड, 17 नवम्बर : चार धाम यात्रा इस वर्ष 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर शुरू हुई थी। तीर्थयात्री हर साल यहां बड़ी संख्या में आते हैं और परिणामस्वरूप प्लास्टिक कूड़ा बढ़ जाता है।

उत्तराखंड सरकार एवं जिला प्रशासन रुद्रप्रयाग की मदद से सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलैरिटी के लिए तकनीकी समाधानों की आपूर्ति करनेवाला रिसाइकल एक अभिनव पहल के साथ इस मुद्दे को हल करने के लिए आगे आया है। ‘डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम’ (डिजिटल डीआरएस) नामक पहल, जिसे प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में भी परिकल्पित किया गया है,

प्रत्येक प्लास्टिक की बोतल और प्लास्टिक की वस्तु को इकट्ठा करके संग्रह प्रणाली में वापस लाना है ताकि प्लास्टिक कूड़ा पर्यावरण को हानि न पहुंचा पाए।डिजिटल डीआरएस पहल सबसे पहले केदारनाथ में लागू की गई थी। इस पहल ने साबित कर दिया कि कैसे टेक्नोलॉजी का उपयोग कर तीर्थयात्रियों के व्यवहार में परिवर्तन लाया जा सकता है। इसे स्थानीय नागरिकों, खुदरा विक्रेताओं और मीडिया के साथ-साथ रुद्रप्रयाग के जिला प्रशासन से भी भरपूर सराहना मिलीं।

उत्तराखंड सरकार और रिसाइकल ने इस अनूठे तकनीकी समाधान के लिए डिजिटल इंडिया अवार्ड 2022 जीता। इस प्रणाली का इस्तेमाल करने के लिए यूनिक सीरियलाइज्ड कोड (यूएसआईसी) वितरित किए जाते हैं। इन यूएसआई कोड्ज को इन बोतलों की पैकेजिंग पर चिपका दिया जाता है। डीआरएस प्रणाली में, उपभोक्ता प्लास्टिक की बोतलें खरीदते हैं और डिपॉजिट के तौर पर (कर या टैक्स नहीं) 10 रुपये जमा करते हैं जो को पूरी तरह से वापसी योग्य है।

जब उपभोक्ता यात्रा मार्ग पर स्थापित संग्रह बिंदुओं पर खाली बोतलें लौटाते हैं तब इस राशि की प्रतिपूर्ति की जाती है। इस वर्ष डिजिटल डीआरएस का विस्तार अन्य धामों- गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ में भी कर दिया गया है। इन तीन धामों से डिजिटल डीआरएस के जरिए 11.45 लाख बोतलें 70% की पुनर्प्राप्ति दर के साथ इकट्ठा कर के रीसाइक्लिंग के लिए भेजी गयी हैं। पिछले हफ्ते में यह संख्या 9.58 लाख थी और पुनर्प्राप्ति का दर लगभग 65% था। यात्रा की समाप्ति के दौरान यह दर 75-80% तक बढ़ने की भी संभावना है।

पिछले यात्रा सीजन के दौरान केदारनाथ से पुनर्प्राप्त की गई 1.63 लाख बोतलों की तुलना में इस वर्ष का संग्रह 700% अधिक है। इस डिजिटल डीआरएस गतिविधि की सराहना करते हुए रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी श्री. मयूर दीक्षित ने कहा, “तीर्थयात्री बड़ी संख्या में श्री केदारनाथ धाम आते हैं। इसके परिणामस्वरूप खाली बोतलें, पैकेट आदि बड़ी मात्रा में पुरे इलाके में गिरे हुए पाए जाते हैं। इस समस्या का हल निकालते हुए, रिसायकल के सहयोग से, हमने एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया,

जिसमें तीर्थयात्री एक निश्चित अतिरिक्त शुल्क के साथ प्लास्टिक की बोतलें खरीद सकते हैं, जिसे इस्तेमाल की गई बोतल जमा करने के बाद वापस कर दिया जाता है। इस पायलट प्रोजेक्ट को काफी सफलता मिली और उसके बाद, हमने इसे पूरे यात्रा मार्ग पर लागू करने का फैसला किया और मुझे बताते हुए अच्छा लग रहा है कि लोग प्लास्टिक की बोतलों के जिम्मेदार निपटान के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

”उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक रुहेला ने कहा, “जिला उत्तरकाशी ने यमुनोत्री और गंगोत्री मार्ग पर चार धाम यात्रा के दौरान डिपॉजिट रिफंड प्रणाली लागू की है। यह प्रणाली हमें यात्रा के दौरान प्लास्टिक के प्रबंधन में निश्चित रूप से मददगार साबित हो रही है। प्रारंभ में, इस पहल को दुकानदारों, वितरकों और होटलों जैसे प्रमुख समर्थकों द्वारा संदेह की दृष्टि से देखा गया था।

हालाँकि प्रशासन और टीम रिसायकल के लगातार प्रयासों से, इस परियोजना को स्थानीय लोगों से लोकप्रियता और समर्थन मिल रहा है। इस पहल को यात्रियों ने खूब सराहा और पवित्र तीर्थस्थलों को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त रखने में उनका योगदान दिया। इस प्रणाली ने अपशिष्ट संग्रहण और प्रसंस्करण की एक चक्राकार प्रणाली स्थापित की है। यह हमारी नदियों और पहाड़ों को प्लास्टिक कूड़े से बचाने में मदद कर रहा है।

”रिसाइकल के संस्थापक और सीईओ अभय देशपांडे ने कहा, “हमारा स्मार्ट तकनीकी समाधान डिजिटल डीआरएस तीर्थयात्रियों के व्यवहार में परिवर्तन लाने, जिम्मेदार अपशिष्ट निपटान को बढ़ावा देने और सबसे पवित्र चार धाम यात्रा में प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने में सहायक रहा है। इस वर्ष की चार धाम यात्रा में हमने जो सकारात्मक प्रतिक्रियाएं पायी हैं वह हमें इसी उत्साह के साथ अपने प्रयास बरक़रार रखने में प्रेरित करेंगी। उत्तराखंड के निवासियों और लोक प्रशासन से हमें काफी समर्थन मिला है।

यहाँ पर एक स्वच्छ, स्वस्थ और अधिक समृद्ध वातावरण बनाने का हमें जो अवसर मिला उसके लिए हम आभारी हैं। हम रीसाइक्लिंग को सभी के लिए सुलभ, सुविधाजनक और फायदेमंद प्रक्रिया बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

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