चमोली में 16 लोगों की अकाल मौत के बाद भी नहीं चेता नमामि गंगे प्रबंधन
–लोकेन्द्र रावत/गोपेश्वर
गोपेश्वर में नमामि गंगे के एसटीपी पर लगे ट्रांसफार्मर की चपेट में आने से एक मादा भालू और उसके बच्चे की मौत हो गई है। केदारनाथ वन प्रभाग की टीम ने दोनों का पोस्टमार्टम करने के बाद जला दिया है।
जानकारी के अनुसार, नगर के वैतरणी क्षेत्र में नमामि गंगे का सीवर ट्रीटमेंट प्लांट स्थित है। बुधवार को नमामि गंगे के कर्मचारियों ने वन प्रभाग के अधिकारियों को ट्रांसफार्मर में दो भालुओं के करंट लगने से मौत होने की सूचना दी। जिस पर केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ तरुण एस और एसडीओ जुगल किशोर चौहान टीम के साथ मौके पर पहुंचे। दोनों भालू को मृत अवस्था में रस्सी के सहारे ट्रांसफार्मर से मुक्त किया गया। पशु चिकित्सक डॉ. पुनीत भट्ट और डॉ. गीतांजलि ने दोनों का पोस्टमार्टम किया। जिसके बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने दोनों को जला दिया।
एसडीओ जुगल किशोर चौहान ने कहा कि मादा भालू करीब छह साल की थी, जबकि उसका बच्चा 11 माह का था। उन्होंने बताया कि यह घटना बीती रात को हुई। बच्चा ट्रांसफार्मर के आगे पड़ा मिला। जिससे प्रतीत होता है कि पहले बच्चा ट्रांसफार्मर के करंट से झुलस गया, जिसके बाद उसकी मां उसे बचाने वहां पहुंची तो वह भी करंट की चपेट में आ गई, जिससे दोनों ने दम तोड़ दिया।
फिर सवालों के घेरे में एसटीपी प्लांट
नमामि गंगे का एसटीपी प्लांट फिर सवालों के घेरे में आ गया है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जंगल से लगे इस प्लांट में बिजली का ट्रांसफार्मर जमीन पर रखा गया है। इसके इर्द-गिर्द सुरक्षा के भी कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। जिससे जंगली जानवरों के लिए यह ट्रांसफार्मर खतरे का सबब बना हुआ है।
बता दें कि गत वर्ष 19 जुलाई को चमोली में स्थित एसटीपी प्लांट पर करंट फैलने से 16 लोग अकाल मौत का शिकार हो गए थे। इसके बाद से प्रशासन लगातार प्लांटों की सुरक्षा को लेकर बैठक करता है। लेकिन वैतरणी में स्थित प्लांट पर सुरक्षा के इंतजाम अभी भी नाकाफी हैं।
इधर, जल संस्थान के ईई एसके श्रीवास्तव का कहना है कि चमोली करंट हादसे के बाद सभी एसटीपी की सुरक्षा की गई है। वैतरणी में एसटीपी के ट्रांसफार्मर के इर्द-गिर्द लकड़ी और लोहे के एंगल की बैरिकेटिंग की गई है। भालू व उसका बच्चा बैरिकेटिंग को लांघकर ट्रांसफार्मर तक पहुंच गए और करंट की चपेट में आ गए।