पूर्व सैनिकों को सोशल मीडिया पर गलत बयानबाजी पड़ेगी भारी

Share at

केदारखंड एक्सप्रेस न्यूज़/ सोशल मीडिया पर पूर्व सैन्यकर्मी, सैन्य अधिकारियों के खिलाफ पोस्ट नहीं कर पाएंगे। हाल में ऐसे कई मामले सामने आने के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर तक मुद्दा उछलने पर सेना मुख्यालय ने इसका संज्ञान लिया है। ऐसी पोस्ट करने पर अब पूर्व सैन्यकर्मी की पेंशन रोकने के साथ उसके विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज कराया जा सकता है। ओआरओपी-टू के ऐलान के पश्चात् से सोशल मीडिया पर कुछ पूर्व जवानों के विवादित बयान चर्चा का विषय रहे। आरोप है कि सेना या सैन्य अधिकारियों के खिलाफ दुष्प्रचार को सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जा रहा है।रक्षा मंत्रालय ने माना है कि इससे सेना के खिलाफ जनमत को उकसाने का प्रयास होता है। ‌‌ ऐसी पोस्ट या वीडियो घृणास्पद, दुर्भावनापूर्ण एवं विद्रोह की स्थिति उत्पन्न करती है। ऐसी बातें कही जा रही हैं, जो अधिकारी एवं सैनिकों के बीच खाई पैदा कर रही हैं। इसे नहीं रोका गया तो विभिन्न रैंकों में अविश्वास के हालात पैदा हो सकते है। सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट जनता पर सीधा प्रभाव डालती हैं। ऐसे में सेना मुख्यालय ने ऐसे मामलों का संज्ञान लिया है। इस बाबत एडीजी-डीएंडवी मेजर जनरल नीरज गुसाईं ने आदेश जारी किया है। इधर, गौरव सेनानी एसोसिएशन उत्तराखंड, वॉइस ऑफ एक्स-सर्विसमैन सोसायटी सहित कई संगठनों ने इसका विरोध किया है। घृणास्पद-दुर्भावनापूर्ण पोस्ट या वीडियो शेयर करने वालों के खिलाफ सेना की लोकल अथॉरिटी एक्शन लेगी।ऐसे चैनल और पोस्ट को ब्लॉक कराया जाएगा। कंटेट गलत हुआ तो अदालत में केस या सिविल पुलिस में FIR कराई जा सकती है। यह कार्रवाई आर्मी ऐक्ट-1950 व राष्ट्रीय एकता के खिलाफ प्रभाव डालने पर भी मुकदमा दर्ज हो सकता है। इसके अतिरिक्त पूर्व सैनिक की पेंशन रोकी या पूर्णतया बंद की जा सकती है। सेना से सेवानिवृत कुछ कर्मचारी सामान्य आयोजनों में सेरिमोनियल ड्रेस या वर्दी पहनते हैं। इस पर भी नाराजगी व्यक्त की गई है। यही नहीं, अब धरना-प्रदर्शन या आंदोलन के चलते सेना के मेडल पहनकर जाने पर भी कार्रवाई की जा सकती है।

You may have missed