पोखरी में वयोवृद्ध पत्रकार को मिल रही मारने धमकियाँ, तमाशा देख रही पोखरी पुलिस, उपजिलाधिकारी भी गम्भीर नहीं
पोखरी। सीमांत जनपद चमोली के विकासखंड पोखरी मुख्यालय में 42 से अधिक वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता कर रहे वयोवृद्ध पत्रकार राजेंद्र असवाल को इन दिनों कुछ स्थानीय रसूखदारों द्वारा गिरोहबंदी कर पत्रकार को अपमानित, प्रताड़ित कर नाजायज धांमकियों के साथ देख लेने की धांमकियां दी जा रही हैं। इस संबंध में उनके द्वारा थाना पोखरी को कई शिकायती पत्र दे दिए हैं लेकिन मजाल क्या की पोखरी पुलिस इस मामले में कुछ करने को तैयार हो।
राजेंद्र असवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ स्थानीय लोगों द्वारा नगर पंचायत की नाली और अन्य घरों के नाली को उनके मकान के पुस्ते में डाल दी गई थी जिससे उनके मकान को खतरा पैदा हो गया था, जब इस नाली को हटाने को लेकर जब उनके द्वारा आवाज उठाई गई तो कुछ रसूखदार दबंगों द्वारा उल्टा उनको गुट बनाकर धमकियां दी गई। जिसकी शिकायत उन्होंने पुलिस में की।
उन्होंने कहा नाली को लेकर पिछले दिनों नगर पंचायत के साथ अन्य संबंधित विभागों का संयुक्त निरीक्षण हुआ निरीक्षण में नाली को दूसरी जगह शिफ्ट करने पर सहमति बन गई है किंतु कुछ दबंग लोगों द्वारा लगातार उनको देख देने की धमकियां दी जा रही है। उन्होंने कहा इस संबंध में उप जिलाधिकारी पोखरी को भी अवगत करा दिया गया है किंतु उप जिलाधिकारी द्वारा थाने को कार्यवाही करने को कहा गया जबकि थाने में भी कई शिकायती पत्र दे दिए हैं लेकिन थाना पोखरी द्वारा संबंधित आरोपियों के साथ मिले होने के कारण कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। यहां तक की मुकदमा भी थाना पोखरी पंजीकृत नहीं कर रहा है। जबकि एस डीएम भी प्रकरण को गम्भीरता से नहीं ले रहे हैं।
वयोवृद्ध पत्रकार राजेंद्र असवाल ने कहा पोखरी में इन दिनों भारी अराजकता का माहौल बना हुआ है एक पत्रकार को पुलिस के सामने ही धमकियां दी जा रही हैं लेकिन उसके बावजूद भी पुलिस की ओर से कोई कार्यवाही न करना इस बात को दर्शाता है कि पुलिस भी कहीं ना कहीं इन अपराधियों से मिली हुई है। उन्होंने कहा इस संबंध में पुलिस अधीक्षक चमोली व जिलाधिकारी चमोली को शिकायती पत्र भेजा जाएगा साथ ही पत्रकार संगठनों के माध्यम से मुख्यमंत्री को भी शिकायती पत्र भेजा जाएगा।
ज्ञात हो कि राजेंद्र असवाल 42 से अधिक वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता कर रहे हैं। वे लम्बे समय से दैनिक अकबरों में पोखरी से पत्रकारिता कर रहे हैं। बावजूद एक पत्रकार का इस तरह से दबंगों द्वारा प्रताड़ित कर धमकियां दी जाना और पुलिस का मूक दर्शक बनकर तमाशा देखना पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जबकि उप जिलाधिकारी का पूरे मामले को भी गंभीरता से ना लेना इस बात को दर्शा रहा है की पोखरी क्षेत्र में जब एक पत्रकार को ही न्याय नहीं मिल रहा है तो आम जनमानस को न्याय की उम्मीद लगाना बेमानी है।
उधर पूरे मामले में थानाध्यक्ष पोखरी का कहना है कि नाली को लेकर विवाद था जिस पर संबंधित दीवारों के साथ निरीक्षण के उपरांत सहमति बन गई है। उसी नाली को लेकर आपसी कहासुनी हुई है इससे अधिक यह मामला नहीं है।