अनूठी परंपरा…स्त्री वेश में सखी बनकर माता लक्ष्मी को बदरी विशाल के सानिध्य में रखते हैं रावल

बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के पांच दिनों तक चलने वाली पंच पूजाओं की प्रक्रिया के सबसे आखिरी में माता लक्ष्मी को बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाता है।

Badrinath Dham Rawal disguises himself as a female friend and keeps Goddess Lakshmi in company of Badri Vishal

बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के दौरान एक अनूठी परंपरा का निर्वहन किया जाता है। बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) मंदिर के कपाट बंद होने से ठीक पहले माता लक्ष्मी को बदरीनाथ गर्भगृह में विराजमान करने के लिए स्त्री वेश धारण करते हैं। माता लक्ष्मी को बदरीनाथ भगवान के सानिध्य में रखने के बाद मंदिर के कपाट शीतकाल में छह माह के लिए बंद कर दिए जाते हैं।

बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के पांच दिनों तक चलने वाली पंच पूजाओं की प्रक्रिया के सबसे आखिरी में माता लक्ष्मी को बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाता है। इससे पूर्व रावल माता लक्ष्मी की सखी बनकर स्त्री वेश धारण करते हैं और मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिर से माता लक्ष्मी की प्रतिमा को बदरीनाथ गर्भगृह में स्थापित किया जाता है। यह पल रावल के लिए भावुक करने वाला होता है। छह माह तक रावल भगवान बदरीनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं अब अगले छह माह तक वे इस प्रक्रिया से दूर रहेंगे।

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