आखर ट्रस्ट के डॉ.गोविन्द चातक की जयंती के अवसर पर ईश्वरी प्रसाद उनियाल को मिला “डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान”

केदारखण्ड एक्सप्रेस न्यूज/घण्डियालधार- लोस्तु (टिहरी गढ़वाल )।

आखर चैरिटेबल ट्रस्ट, श्रीनगर गढ़वाल   द्वारा  लोस्तु पट्टी के घण्टाकर्ण देवता मंदिर परिसर घण्डियालधार  में ‘डॉ. गोविन्द चातक जयंती ‘के उपलक्ष्य पर विगत वर्षों की भांति ‘ डॉ.गोविन्द चातक स्मृति व्याख्यान’ एवं ‘डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान ‘ समारोह का आयोजन किया गया।

गढ़वाली भाषा के प्रचार -प्रसार में गढ़वाली समाचार पत्रों के माध्यम से अमूल्य योगदान देने हेतु वर्ष -2022का ‘डॉ. गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान ‘ विगत 25-26 वर्षों से निरंतर देहरादून से प्रकाशित गढ़वाली साप्ताहिक रंत रैबार के सम्पादक एवं प्रकाशक ईश्वरी प्रसाद उनियाल को प्रदान किया गया।

 सम्मान स्वरूप उन्हें  ग्यारह हजार रुपए (11000/-)की सम्मान राशि के साथ अंग वस्त्र, सम्मान  पत्र एवं विशेष आखर स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। ग्यारह हजार रुपए की सम्मान यह राशि डॉ.चातक के परिवार की ओर से प्रदान की गई।        कार्यक्रम की शुरुआत लोक परम्परानुसार अतिथियों द्वारा जौ से भरे हुए ‘पाथे ‘ में दीप प्रज्वलन, डॉ.गोविन्द चातक की फोटो पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पण से हुई ।

इस अवसर पर राजकीय इंटर कॉलेज धद्दी घंडियाल की छात्राओं- कु.नैशा, कु.नेहा,कु.रिया,कु.मनीषा, कु.सिया ,कु.अंजलि, कु. कोमल,कु. मेघा द्वारा गढ़वाली सरस्वती वंदना एवं मांगलिक प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में वक्ताओं द्वारा लोक साहित्य एवं गढ़वाली भाषा एवं लोक साहित्य में डॉ.गोविन्द चातक जी  द्वारा दिए गए अवदान को चिरस्मरणीय एवं अतुलनीय बताया गया ।

साथ ही विस्तारपूर्वक उनके जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर बात रखी गई। गढ़वाली भाषा -साहित्य, शिक्षा को समर्पित   श्रीनगर गढ़वाल की आखर संस्था   विगत सात वर्षों से डॉ. गोविन्द चातक की जयन्ती पर यह कार्यक्रम आयोजित कर रही है।      मुख्य अतिथि एवं केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देवप्रयाग में हिंदी के सहायक प्रोफेसर एवं लोक साहित्य विशेषज्ञ डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल ने कहा कि- ‘डॉ.चातक जी ने यहां के सम्पूर्ण लोक साहित्य काे लिपिबद्ध करने का अतुलनीय कार्य किया।

उन्होंने गढ़वाल के लोक साहित्य को संरक्षित करने में बहुत महत्वपूर्ण  भूमिका निभाई। वे यहां के लोक साहित्य के पहले अनुवादक भी थे।’    कार्यक्रम अध्यक्ष एवं श्री घण्टाकर्ण देवता मंदिर के अध्यक्ष कैप्टन सते सिंह भंडारी ने कहा कि- ‘ इस क्षेत्र के लिए यह बहुत बड़ी बात है कि डॉ. चातक की जयंती के उपलक्ष्य पर यह कार्यक्रम इस बार उनके गृह क्षेत्र में हो रहा है।डॉ. चातक  की जयन्ती के अवसर पर उनकी स्मृति में हर वर्ष आखर ट्रस्ट ‘ द्वारा जो कार्यक्रम आयोजित किया जाता है,

वह  निश्चित तौर पर प्रशंसनीय है।’ अति विशिष्ट अतिथि एवं श्री घण्टाकर्ण देवता मंदिर के रावल दिनेश प्रसाद जोशी ने कहा कि – ‘ इस क्षेत्र की डॉ.गोविन्द चातक जी जैसी महान विभूति को याद करना और उन पर कार्यक्रम आयोजित करना हम सभी क्षेत्र वासियों के लिए गौरव की बात है।

यहाँ की जनता एवं नई पीढ़ी को इस बात का पता होना आवश्यक है कि  डॉ. गोविन्द चातक जैसी महान विभूति इस क्षेत्र में पैदा हुई।’       इस अवसर पर सम्मानित होने वाली विभूति ईश्वरी प्रसाद उनियाल ने कहा कि – डॉ. चातक के साथ मेरा निरंतर पत्राचार होता था। वो असाधारण प्रतिभा के विद्वान होने पर भी एक साधारण एवं सरल व्यक्ति थे।हमने हमेशा अपने गढ़वाली समाचार पत्रों के माध्यम से नए लेखकों को मंच देने की कोशिश की।

साथ ही कहा कि- यह  आखर साहित्य सम्मान मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण सम्मान है।’       इस अवसर पर  वक्ता के रूप में हे.न.ब. ग.के. विश्वविद्यालय पौड़ी परिसर की इतिहास की सहायक प्रोफेसर  डॉ. नीलम नेगी ने उनके व्यक्तित्व, कृतित्व, गढ़वाली लोक साहित्य, गढ़वाली भाषा एवं हिंदी साहित्य के क्षेत्र में डॉ.गोविन्द चातक द्वारा दिए गए अवदान पर  विस्तार से अपनी बात रखी।

साथ ही कहा कि-‘ डॉ.चातक ने यहां के लोक साहित्य को संग्रहित करने एवं संरक्षित करने में महत्वपूर्ण  योगदान दिया था । डॉ.चातक लोक साहित्यकार के साथ-साथ एक भाषाविद् थे।’     विशिष्ट अतिथि रघुवीर सिंह कंडारी ने कहा कि आखर ट्रस्ट द्वारा यहां की डॉ. चातक जैसी विभूतियों को याद किया जाना और इस तरह के कार्यक्रम  आयोजित करना एक सराहनीय कार्य है।   

आखर के अध्यक्ष संदीप रावत ने कहा – ‘इस वर्ष डॉ. चातक जी के गृह क्षेत्र में यह कार्यक्रम करने का उदेश्य यह है कि यहां के लोग एवं नई पीढ़ी भी उनके कृतित्व एवं लोक साहित्य के रूप में वे जो विरासत  छोड़ गए हैं उसके बारे में जान सकें।जब भी उत्तराखंड के लोक साहित्य का जिक्र होगा तो लोक साहित्यकार एवं भाषाविद्  डॉ. चातक का जिक्र  अवश्य होगा।

गढ़वाली भाषा में भी डॉ.चातक का काम अतुलनीय है। डॉ.चातक को गढ़वाली लोक साहित्य का देवता माना जा सकता है।        कार्यक्रम का संचालन हे.न. ब. गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. नितेश बौंठियाल एवं संदीप रावत द्वारासयुंक्त रूप से किया गया ।अतिथियों का स्वागत ट्रस्ट के अध्यक्ष संदीप रावत  ने किया किया।

आखर के  भूपेंद्र सिंह नेगी ने ‘डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान-वर्ष 2022’ से सम्मानित होने वाले ईश्वरी प्रसाद उनियाल के सम्मान पत्र का वाचन किया एवं कवयित्री अनीता काला  ने उनके परिचय एवं गढ़वाली समाचार पत्रों के माध्यम से गढ़वाली भाषा के प्रचार -प्रसार में उनके द्वारा दिए जा रहे,

अमूल्य योगदान को सबके सम्मुख रखा और कहा कि – सम्मानित होने वाले उनियाल जी गढ़वाली भाषा में प्रकाशित पहले दैनिक समाचार पत्र ‘गढ़ ऐना ‘ के सम्पादक थे।     इस अवसर पर डॉ.गोविन्द चातक जी के गांव सरकासैण से डॉ. चातक जी के भतीजे  राजेंद्र सिंह कंडारी एवं अन्य ,डॉ.गोविन्द चातक जी के ही परिवार  से उनके पौत्र सौरभ बिष्ट,पयांखोली से बृजमोहन गोदियाल,जयवीर सिंह बिष्ट,

श्री घण्टाकर्ण देवता के पश्वा सोहन सिंह कैंतुरा,मोलधार से भूपेंद्र सिंह कंडारी, कमलेश कंडारी, देहरादून से आए  एडवोकेट रघुवीर सिंह कठैत, आखर ट्रस्ट  से- रेखा चमोली,अनीता काला,नितेश बौंठियाल,साक्षी रावत, भूपेंद्र सिंह नेगी,डॉ.नीलम नेगी, पौड़ी से अरुण बिष्ट,लक्ष्मी रावत, हिमांशु, मंदिर समिति से – ओम प्रकाश गोदियाल,रघुवीर शेरू भंडारी,

श्री घण्टाकर्ण देवता के रावल  दिनेश जोशी, मंदिर समिति के अध्यक्ष कैप्टेन  सते सिंह भंडारी,सामाजिक कार्यकर्ता रघुवीर सिंह कंडारी ,महिला मंगल दल घण्डियालधार की अध्यक्षा पिंकी देवी, राजेंद्र सिंह कैंतुरा, सोहन सिंह,जिला पंचायत सदस्य अमित मेवाड़, शिक्षक-शिक्षिकाओं, साहित्यिक एवं सामाजिक सरोकारों से जुड़े व्यक्तियों एवं लोस्तु -बड़ियार की जनता की गरिमामयी  उपस्थिति थी।   

  इस कार्यक्रम में   राजकीय इंटर कॉलेज धद्दी घंडियाल एवं आछरीखुण्ट के छात्र -छात्राओं द्वारा  लोक संस्कृति की सुन्दर प्रस्तुतियां  दी गईं।      कार्यक्रम के अंत में  ट्रस्ट के अध्यक्ष संदीप रावत ने श्री घण्टाकर्ण देवता मंदिर समिति के सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों , इस क्षेत्र की जनता, आखर ट्रस्ट के सभी सदस्यों एवं कार्यक्रम में  उपस्थित  सभी व्यक्तियों का आभार व्यक्त किया।

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