जीवन दायनी 108 सेवा बन रही अब मौत दायनी सेवा
जीवन दायनी 108 सेवा बन रही अब मौत दायनी सेवा
केदारखण्ड एक्सप्रेस न्यूज़
भानु भट्ट/केदारखण्ड एक्सप्रेस न्यूज़
सामान्य तौर पर एंबुलेंस यानी 108 को जीवनदायिनी अर्थात जान बचाने वाले भगवान के रूप में देखा जाता है जिसमें की मरीज को अस्पताल तक ले जाया जाता है। आखिर बात भी तो सही है लेकिन जरा सोचिए जब मरीज बेहद ही गंभीर हालत में अस्पताल जा रहा हो और बीच में यही जीवनदायिनी गाड़ी खराब हो जाए तो क्या होगा? जी हां यह सिर्फ बातों में ही नहीं हुआ है अपितु यह खबर आज इस जीवनदायिनी गाड़ी को यम के दूत के रूप में व्यक्त करेगी
देखिए खास खबर
बसुकेदार से जब 108 सेवा 16 अप्रैल को एक पेट दर्द के मरीज को लेने किरोडा गांव गई तो जब मरीज बिठाकर आधे रास्ते तिमली बडमा पहुची तो गाड़ी खराब हो गई ,उसके बाद से आज तक उसकी सुध नही ली गई और मरीज को दूसरी 108 की सहायता से अस्पताल पहुंचाया गया।
वही कल जब सोनप्रयाग में 108 मरीज छोड़ कर बसुकेदार के बष्टी में पहुची तो वह गाड़ी भी खराब हो गई ,अब प्रश्न इस बात का है कि इन्हें कौन और कब ठीक करेगा? और आखिर यह किसकी लापरवाही का नतीजा है? और जब इन्हें जीवन दायनी माना जा रहा है तो क्या ये ऐसी स्थिति में जीवन बचा सकती हैं? यह प्रश्न बेहद ही सोचने वाला है इतना ही नहीं जो कर्मचारी इन एंबुलेंस पर सेवा दे रहे है वह यम के दूत है जो पेशेंट को बचा दे ,वही यह भी कहा जा रहा है कि अगर इन कर्मचारियों ने ड्यूटी नही की तो अंदेशा वेतन कटने के भी है ,आखिर ऐसा क्यो? जब इन गाड़ियों को सही सलामत नही रखा जा रहा इन्हें मौत दायनी न कहा जाए तो क्या कहा जाय?