युवा पत्रकार लखपत रावत लक्की की 7वीं पुण्यतिथि पर भावभिनी श्रद्धांजलि
–कुलदीप राणा आजाद/रूद्रप्रयाग
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
रूद्रप्रयाग। युवा पत्रकार स्व. लखपत रावत लक्की की आज सातवीं पुण्यतिथि है। लखपत रावत का पत्रकारिता के क्षेत्र में कभी न भुलाने वाला योगदान रहा है। पहाड की विभिन्न समस्याओं के प्रति उनका अनवरत संघर्ष और उनकी कलम की पैनी धार ने कई पीड़ित और शोषित वर्ग को न्याय दिलाया है। 7 वर्ष पूर्व लखपत रावत के आकाष्मिक निधन से न केवल पत्रकारिता जगत को बल्कि पूरे समाज को बहुत बडी क्षति पहुंची है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती है।
गुलाम पत्रकारिता की बेडियो मैं जकड़े हैं पत्रकार
अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में 6 वर्ष तक दिन रात कार्य करने के बावजूद भी उनकी मृत्यु के बाद एक संवेदना पत्र तक न देना यह दर्शाता है कि पत्रकारों का कितना शोषण किया जा रहा है। उससे भी बडा़ दुर्भाग्य यह है कि रूद्रप्रयाग के पत्रकारों ने भी लखपत के नाम को जिंदा रखने के लिए कुछ खास नहीं किया है। लखपत रावत की असमय मृत्यु के बाद जिस तरह उन्हें गुमनाम जैसा कर दिया उससे समझा जा सकता है कि पत्रकरों की स्थिति आज कहाँ खड़ी है।
ड्यूटी के दौरान हुई लखपत रावत की मृत्यु के बाद जिस तरह से अमर उजाला ने उसके परिवार को पूछा तक नहीं इस अन्यायी व्यवस्था और मीडिया घरानों के प्रति भी पत्रकारों की चुप्पी गुलाम पत्रकारिता को दर्शा रहा है। पहाड की विषमताओं, भारी संघर्ष के बीच अल्प मानदेय पर कार्य करने वाले पत्रकारों के साथ मीडिया घरानों का रवैया जिस तरह से आज उदासीन है यू कहे कि पहाड के पत्रकारों का भारी शोषण किया जा है बावजूद इन मीडिया घरानों के प्रती पत्रकारों की लडने की हिम्मत नहीं है तो समझा जा सकता है कि भविष्य में लखपत जैसी अनहोनी किसी और पत्रकार के साथ होती है तो कोई पूछने वाला नहीं होगा।
तुम हमेशा याद आओगे के लक्की भाई
11 अप्रैल 2016 को की सांय अपने दोस्तों के साथ बैठे लखपत रावत के सीने में रात 10:00 बजे के करीब अचानक दर्द हुआ। दर्द से कराहते लखपत रावत को साथियों द्वारा आनन-फानन में जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग ले जाया जाता है लेकिन अस्पताल में डॉक्टर लखपत को मृत घोषित कर देते हैं। नारायणकोटी गुप्तकाशी के 28 वर्षीय लखपत रावत की 1 वर्ष पूर्व ही विवाह हुआ था। वह तीन भाई बहनों में इकलौता भाई था। रात के वक्त लखपत की मृत्यु की खबर ज्यादातर लोगों को पता नहीं चली लेकिन सुबह यह खबर पूरे रुद्रप्रयाग जनपद में आग की तरह फैली और जिसको जहां खबर मिली वह दौड़ा दौड़ा जिला अस्पताल पहुंच गया। परिजनों के यहां पहुंचने के बाद जी पुकार और विलाप ने पूरा माहौल गमगीन कर दिया था। लखपत की मृत्यु की खबर ने पूरे जनपद में शोक की लहर छा गई थी 12 अप्रैल दोपहर को अलकनंदा और मंदाकिनी नदी संगम पर लखपत रावत की अंत्येष्टि की गई थी।। तुम हमेशा याद रहेंगे लक्की भाई