कविता कोना : कलम, सोहानी ग्राम ताली (मोहनखाल) पोखरी
कलम
कलम ने कहा मुझसे
चल कस कस के पकड ले मुझे
चलना सिखा दूंगी तुझे मैं
कहाँ से कहाँ बिठा दूंगी तुझे मैं
मैं भी झटपट उठा कलम
सीने से लगा बैठे उसे
रहेगी जहां भी तू
मुझे जैसा सच्चा मित्र मिलेगा ना तुझे
जो भी व्यथा है तेरे अंतर हृदय में
उठा मुझे और लिख दे स्वर्ण अक्षर में
कहती है कलम मुझसे
चुना है तूने मुझे
मांग ले जो चाहिए था तुझे
कह दिया मैंने भी
लिख दी है तकदीर तूने
अब और क्या चाहिए मुझे।।
@सोहानी
ग्राम ताली (मोहनखाल)
पोखरी