केदारघाटी में हैली सेवायें नियमों को ताक पर रखकर भर रही उडानें
केदारघाटी में हैली सेवायें नियमों को ताक पर रखकर भर रही उडानें
रूद्रप्रयाग। गुप्तकाशी से ऊपर केदारनाथ धाम के लिए उड़ाने भरने वाली हेली सेवाएं वैसे तो हमेशा से सवालों के घेरे में रही हैं क्योंकि इनके द्वारा निर्धारित मानकों पर उड़ाने नहीं भरी जा रही है। इस वर्ष भी हेली सेवाएं केवल अपनी कमाई पर ध्यान दे रही है जबकि नियम कायदों की धज्जियां उड़ाई जा रही है लेकिन दुर्भाग्यवश इन पर नजर रखने वाला प्रशासन सोया हुआ है।
केदारनाथ यात्रा में हेलीकॉप्टर सेवा का संचालन करने वाली हेली कंपनियां भारतीय वन्य जीव संस्थान के मानकों और एनजीटी के नियमों का पालन नहीं कर रही हैं। केदारघाटी से धाम के लिए हेलीकॉप्टर निर्धारित 600 मीटर की ऊंचाई पर नहीं उड़ रहे हैं। साथ ही हेली कंपनियां प्रतिदिन का शटल, साउंड व ऊंचाई का रिकाॅर्ड केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग को नहीं भेज रही हैं। इस संबंध में प्रभागीय स्तर से हेली कंपनियों को पत्र भेजकर जवाब मांगा गया है।
इस वर्ष छह कंपनियों के हेलीकॉप्टर गुप्तकाशी, शेरसी व बडासू हेलीपैड से केदारनाथ के लिए उड़ान भर रहे हैं। लेकिन ये हेलीकॉप्टर नदी तल से 150 से 250 मीटर की ऊंचाई पर ही उड़ रहे हैं। हेलीकॉप्टरों की उड़ान की यह ऊंचाई केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के भीमबली में स्थापित मॉनीटरिंग स्टेशन में रिकाॅर्ड हो रही है।
केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग गोपेश्वर अमित कंवर का कहना है हेलीकॉप्टर की तेज आवाज से अति संवेदनशील क्षेत्र में प्रवास करने वाले दुर्लभ वन्य जीवों, वनस्पतियों को नुकसान पहुंच रहा है। साथ ही लोगों को भी परेशानी हो रही है।
रिपोर्ट पर भी नहीं हुई कार्रवाई वर्ष 2013-2014 में
केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने यात्राकाल में केदारघाटी के गुप्तकाशी, फाटा, बडासू, शेरसी, सोनप्रयाग, गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ हेलीपैड तक हेलीकॉप्टर की ध्वनि व ऊंचाई का अध्ययन किया था। रिपोर्ट के अनुसार केदारनाथ हेलीपैड पर हेलीकाप्टर की न्यूनतम ध्वनि 92 डेसीबल व अधिकतम 108 डेसीबल मापी गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि हेलीकॉप्टर सेंचुरी एरिया में उड़ान भरते हुए नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं। लेकिन सात वर्ष बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।