नोनिहालो के लिए भगवान बनी अध्यापिका जया चौधरी

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नोनिहालो के लिए भगवान बनी अध्यापिका जया चौधरी

लक्ष्मण राणा/केदारखण्ड एक्सप्रेस

चमोली जिले में दिनभर मौसम का मिजाज बदला रहा।मौसम के बदले मिजाज से राज्य में अलर्ट था।सीमांत क्षेत्र में मलारी के प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षिका ने अविभावकों की गलती से विद्यालय पहुंचे नौनिहालों को सुरक्षित घर तक पहुंचाया। यह शिक्षिका पूर्व में बेहतर शिक्षण कार्यो के लिए प्रशासन व सरकार से भी पुरूस्कृत हो चुकी है।


दरसअल वाक्या जोशीमठ विकासखंड के भारत तिब्बत सीमा से लगे सीमांत गांव मलारी गांव का है।मिली जानकारी के मुताबिक मलारी में प्रशासन के निर्देशों पर 15 जुलाई से स्कूल खोलने के निर्देश दिए गए थे।बता दे कि प्राथमिक विद्यालय मलारी में शिक्षिका जया चौधरी भी तैनात है। बताया गया कि सीमांत क्षेत्र में आनलाईन शिक्षा की व्यवस्था न होने के कारण ऑफ़ लाईन पढ़ाई के निर्देश हैं। जिसके तहत नौनिहालों को वर्कशीट घर जाकर ही शिक्षिका को देनी है,और शिक्षिका के द्वारा इन दिनों घर घर जाकर वर्कशीट दी भी जा रही है। लेकिन वावजूद इसके भी अविभावकों द्वारा बच्चों को विद्यालय भेजा गया,मलारी क्षेत्र में बारिश होने नौनिहालों को शिक्षिका ने पहले तो कोविड नियमों के तहत उन्हें स्कूल में ही रोका गया।जिसके बाद स्कूल पहुंचे प्राथमिक विद्यालय के तीन व जूनियर हाईस्कूल के तीन बच्चों को सुरक्षित घरों तक पहुंचाया गया। बताया गया कि स्कूल व गांव के मध्य बहने वाले  कुंती गदेरे में अचानक हिमखंड टूटने से पानी बढ़ गया।शिक्षिका द्वारा स्कूल आए  नौनिहालों को सुरक्षित घर पहुंचाने पर अविभावकों ने उनका आभार जताया है। 

बताया गया कि मलारी में प्राथमिक विद्यालय में पढाने वाले आठ बच्चों को प्रतिदिन घर में आफ लाईन वर्क सीट दी जाती है। मामले में शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि कोरोना गाईडलाईन के तहत  आफ लाईन वर्क सीट प्रतिदिन देकर उन्हें स्कूल टाईम पर आंसर सीट  चेक भी किया जाना है। शिक्षिका को 2017 – 2018 में एमएचआरडी द्वारा स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय पुरूस्कार भी जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया द्वारा दिया गया । साथ ही बीते दिनों शिक्षिका को शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे द्वारा भी उत्कृष्ट शिक्षा सम्मान से भी नवाजा गया था ।

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