नशे की गिरफ्त में पहाड़ का युवा, उपाय लाख पर समाधान नहीं!
नशे की गिरफ्त में पहाड़ का युवा, उपाय लाख पर समाधान नहीं!
प्रियंका शाह/केदारखंड एक्सप्रेस न्यूज़
गोपेश्वर । नशे का नेटवर्क यूँ तो पूरे देश में अपनी जडें गहराइ से जमा चुका है लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में भी नशे का विकराल रूप देखने को मिल रहा है। खास तौर पर यहां का युवा इसकी गिरफ्त में लगातार आ रहा है।
पर्वतीय क्षेत्र के सीमांत जनपद चमोली का एक शहर है गोपेश्वर, जहाँ 14-15 वर्ष के बाल्यावस्था से ही नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है। जबकि इससे आगे की उम्र के युवा नशे की आदी हो चुकी है। लगातार नशे के प्रचलन ने युवा पीढ़ी के भविष्य को गर्त में धकेल दिया है। लेकिन इसको रोकने के लिए हमारा पूरा सिस्टम पूरी तरह से फेल नजर आ रहा है। बल्कि अगर हम कहेंगे कि सरकारें ही नशे को बढ़ावा दे रही है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह स्थिति केवल गोपेश्वर शहर की नहीं है बल्कि कमोबेश पहाड़ की हर जगह यही स्थिति बनी हुई है।
दरअसल उत्तराखंड सरकार ने राज्य गठन के बाद से ही सरकारी शराब की दुकानें घर-घर पहुंचाने का कार्य शुरू कर दिया था। हर नगर-कस्बे में आपको शराब की दुकान उपलब्ध मिलेगी। यही कारण है कि आज पहाड़ों में शराब का प्रचलन पहले की अपेक्षा अधिक हुआ है। जबकि पर्वतीय इलाकों में चरस गांजा अफीम जैसे नशे भी अब अपने पांव पसार रहे हैं। गुपचुप रूप से इसकी एक बड़ी चैन क्षेत्र बिक चुकी है जो युवा पीढ़ी को खोखली करती जा रही है।
सरकारों ने राजस्व कमाने के लिए भले ही शराब पर जोर दिया हो लेकिन इसके उलट हमारे समाज नए भी शराब प्रचलन को न केवल सहज स्वीकार किया है बल्कि छोटी बड़ी हर तीज त्यौहार शादी ब्याह चूड़ाकर्म मुंडन से लेकर मरने और पित्र श्राद्ध तक के कार्यक्रमों में भी खूब शराब परोसी है जिस कारण आज हर कार्यक्रम में शराब की अनिवार्यता हो गई है लेकिन मजाल क्या कि कोई इस कुप्रथा को रोके। हमारे गांव में महिला मंगल दल समूह के द्वारा कही स्थानों पर जरूर शराब के खिलाफ आवाज बुलंद की गई लेकिन मुट्ठी भर महिलाओं की आवाज सर आपके इस नेटवर्क के सामने बोनी प्रति नजर आई अलबत्ता आज धड़ल्ले से शराब का प्रचलन और इससे जुड़ा कारोबार खूब फल फूल रहा है और एक बड़ी आबादी अपने भविष्य को अंधकारमय बना रही है।
जरूरत है नशे के खिलाफ एक बड़ी जन आंदोलन करने की ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी नशे से दूर महफूज रह सके और उनका भविष्य उज्जवल हो सके।