दिल में देश सेवा का जज्बा, लेकिन जज्बातों पर नहीं रख पाया कमलेश काबू
दिल में देश सेवा का जज्बा, लेकिन जज्बातों पर नहीं रख पाया कमलेश काबू
डैस्क : केदारखण्ड एक्सप्रेस
बागेश्वर। मन में देश सेवा का जज्बा और जुनून सेना की वर्दी पहनने का लेकिन एक असफलता के बाद जज्बातों पर काबू नहीं रखा सका कमलेश। वीडियो बनाकर गहरी निराशा जताने के बाद उसने जीवन लीला समाप्त कर दी। कुछ पल पहले तक हंसता-खेलते परिवार को गम और दुख के माहौल में छोड़ गया कमलेश। माता पार्वती देवी समेत कई दोस्त भी इस घटना से सदमे में हैं।
कपकोट के ग्राम मल्लादेश निवासी कमलेश के करीबी मित्र और उसके साथ सेना भर्ती का अभ्यास करने वाले दर्शन को इस घटना ने तोड़कर रख दिया है। उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि जो कमलेश देश की सीमाओं पर जाकर अपनी वीरता दिखाने की बात करता था, वह एक असफलता से हार मान बैठा। दर्शन ने बताया कि वह और कमलेश एक साथ सुबह और शाम सेना की तैयारी किया करते थे। कमलेश को सेना में भर्ती होने का जुनून था। वह अकसर कहा करता था कि सेना के अलावा बाकी कोई सपना ही नहीं है। सेना में ही भर्ती होना है। भले ही चार साल के लिए देश सेवा का मौका मिले या एक दिन के लिए।
दर्शन बताते हैं कि सोमवार दोपहर बाद तक कमलेश खेतों में गेहूं बोवाई का काम कर रहा था। भर्ती परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद वह अचानक घर चला गया। कुछ देर बाद पास के जंगल में उसके जहर गटकने की सूचना मिली। कमलेश ने आत्मघाती कदम उठाने से पहले एक वीडियो भी बनाया था। इसमें वह जहर की शीशी हाथ में लेकर अग्निवीर भर्ती में असफल होने के कारण रोता दिख रहा है। वीडियो में वह जहर की शीशी हाथ में लेकर रोते हुए कहता दिख रहा है कि ‘चार साल के लिए वह सेना में भर्ती होना चाहता था। उसका रोल नंबर तक नहीं आया। उसके पास कोई विकल्प नहीं है। इतनी मेहनत करने के बावजूद पहले रेस में बाहर हुआ। एनसीसी सी सर्टिफिकेट होने के बाद भी नहीं चुना गया। इसलिए अगली अग्निवीर भर्ती के लिए ट्राई मत करना। बाय दोस्तो, लव यू मम्मा, पापा, लव यू ददा सॉरी’।
कमलेश के पिता गांव में छोटी सी दुकान चलाते हैं। माता गृहिणी हैं। बड़ा भाई भरत गिरी निजी कंपनी में कार्यरत है जबकि छोटा भाई मोहित पुणे में प्राइवेट नौकरी करता है। कमलेश की मौत के बाद सोशल मीडिया में पोस्टों की भरमार है। लोग बेरोजगारी और अग्निवीर योजना पर भी प्रतिक्रिया कर रहे हैं।